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- मजहबी साम्राज्यवाद से...
विकास सारस्वत: उत्तर प्रदेश एंटी टेरर स्क्वाड यानी यूपीएटीएस द्वारा नोएडा में मतांतरण रैकेट के सरगना मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी की गिरफ्तारी के बाद कई अहम खुलासे हुए हैं। यूपीएटीएस की मानें तो न सिर्फ इस मतांतरण माफिया को विदेशी फंडिंग मिल रही थी, बल्कि इनके तार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ से जुड़े होने का भी संदेह है। पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस्लामिक दावा सेंटर नाम से चल रहे इस रैकेट में प्रलोभन और डरा धमकाकर मतांतरण कराए जाते थे। इस केंद्र ने महिलाओं, नाबालिगों और यहां तक कि मूक-बधिरों के भी मतांतरण कराए हैं। दिल्ली से असम तक फैले इस माफिया द्वारा किए गए अपराधों पर निश्चित ही कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, परंतु साथ ही मतांतरण के जुनून पर भी राष्ट्रव्यापी और खुली बहस जरूरी है। आज भारत की सामाजिक-राजनीतिक समस्याओं का बड़ा कारण जनसंख्या का धार्मिक अनुपात बदलने की अनवरत चेष्टा है। विदेश से घुसपैठ और मजहबी मंतव्य से जनसंख्या वृद्धि के अलावा मतांतरण इस अनुपात को बदलने का प्रमुख जरिया बन गया है।