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- विवादित सच के सर्वे
हम तो चाहते थे कि अतीत को अतीत ही रहने दें, उसे मत कुरेदें। पुराने ढांचे मंदिर थे अथवा मस्जिद हैं, ऐसे सर्वेक्षणों की सियासत बंद की जाए। इतिहास को खंगालने से हमारा समय, समाज और देश विभाजित हो रहे हैं। सुखद लक्षण नहीं हैं। हिंदू और मुसलमान दोनों ही भारत के नागरिक हैं। संविधान और कानून दोनों को समान रूप से संरक्षण देते हैं। यदि अदालतें ऐतिहासिक अतीत की पुष्टि नहीं कर सकतीं, तो सिर्फ सर्वे से क्या हासिल होगा? सर्वे के बाद क्या कार्रवाई की जाएगी? क्या विवादित ढांचे ढहाए जाएंगे और फिर नवनिर्माण किए जाएंगे? इन पर फिजूल में देश के संसाधन बर्बाद नहीं किए जा सकते। विडंबना और दुर्भाग्य यह है कि औसत मुसलमान मुग़ल बादशाहों की प्रजा बने हैं और कुछ चेहरे स्कॉलर का बिल्ला लगाकर प्रवक्ता की भूमिका में हैं। दोनों ही सरकार-विरोधी, संविधान-विरोधी और अदालत के निर्णय के खिलाफ बोल रहे हैं। दोनों ही हंगामा बरपाने के अंदाज़ में हैं। तो हिंदू पक्षकारों को अपने देवी-देवता, भित्ति-चित्र, प्रतीक-चिह्नों में ही आस्था प्रतिबिंबित हो रही है। उनकी भक्ति इसी दौर में उमड़-घुमड़ रही है। दोनों पक्षों का मध्यकालीन अतीत से आज कोई सरोकार नहीं है, लेकिन वे मंदिर-मस्जिद को लेकर उबल रहे हैं। अपने कपड़े फाड़ रहे हैं।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली