सम्पादकीय

पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान, ...ऐसा कानून बनने का मतलब होगा भारत का पाकिस्तान की राह पर जाना

Gulabi Jagat
6 Jun 2022 8:18 AM GMT
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान, ...ऐसा कानून बनने का मतलब होगा भारत का पाकिस्तान की राह पर जाना
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भाजपा ने कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए अपने दो प्रवक्ताओं के खिलाफ जो कार्रवाई की
भाजपा ने कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए अपने दो प्रवक्ताओं के खिलाफ जो कार्रवाई की, वह इन दोनों नेताओं के साथ उन सभी के लिए एक सबक बननी चाहिए जो सार्वजनिक विमर्श में शामिल होते हैं और प्राय: भाषा की मर्यादा का उल्लंघन करते हैं। संवाद और सार्वजनिक विमर्श में भाषा की मर्यादा का अपना एक स्तर होता है और उसे बनाए रखना सबका साझा दायित्व है।
यह दायित्व इसलिए और अधिक बढ़ गया है, क्योंकि इंटरनेट मीडिया के साथ टीवी चैनलों पर होने वाली चर्चा में अक्सर शालीनता और गरिमा के दायरे से बाहर निकलकर तीखी-ओछी टिप्पणियां की जाती हैं। अब तो इस तरह की टिप्पणियां सार्वजनिक संबोधनों के अवसरों पर देखने को मिल जाती हैं-न केवल चुनाव के अवसर पर, बल्कि उन दिनों में भी जब चुनाव नहीं हो रहे होते हैं। यह एक तथ्य है कि भाषा की मर्यादा का उल्लंघन विधानमंडलों में भी देखने को मिलता रहता है।
जब संवेदनशील मामलों और विशेष रूप से धार्मिक बहस के समय भाषा की मर्यादा टूटती है, तो उसका कहीं अधिक प्रतिकूल असर पड़ता है और कभी-कभी तो लोग सड़कों पर उतरकर हंगामा और हिंसा करने लगते हैं। यही नहीं विवादित अथवा आपत्तिजनक टिप्पणियां करने वालों को धमकियां दी जाने लगती हैं।
यह भी लोकतंत्र की भावना के सर्वथा विरुद्ध है। नि:संदेह सबको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है और यह स्वतंत्रता लोगों को अरुचिकर और अप्रिय लगने वाली बातें कहने का भी अधिकार देती है, लेकिन इस अधिकार की अपनी एक सीमा है। यह खेद की बात है कि ज्ञानवापी प्रकरण में जारी बहस के दौरान कई बार भाषा की मर्यादा का उल्लंघन होते हुए दिखा।
यह किसी से छिपा नहीं कि हिंदू मंदिरों के प्रतीक चिह्नों के साथ शिवलिंग मिलने की बातों की किस तरह खिल्ली उड़ाई गई और शिवलिंग को लेकर कैसी ओछी, भद्दी और हिंदू जनमानस को आहत करने वाली टिप्पणियां भी की गईं। क्या इन सबके खिलाफ भी कोई कार्रवाई होगी? एक सवाल यह भी है कि क्या कथित आपत्तिजनक टिप्पणियां करने वाले भाजपा प्रवक्ताओं को जान से मारने और यहां तक कि सिर तन से जुदा करने की खुलेआम धमकियां देने वालों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई होगी?
यह न केवल हैरानी, बल्कि गंभीर चिंता की बात है कि ऐसे उन्मादी तत्वों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। कानून के शासन का तकाजा यही कहता है कि न केवल ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, बल्कि उन तत्वों को हतोत्साहित भी किया जाना चाहिए जो भारत में ईशनिंदा का कानून बनाने की पैरवी करते रहते हैं। देश में इस तरह के किसी कानून के निर्मित होने का मतलब होगा भारत का पाकिस्तान की राह पर जाना।

दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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