- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- महाराजा रणजीत-गुलाब...
16 जून को महाराजा रणजीत सिंह ने अखनूर में गुलाब सिंह का राज्याभिषेक किया था। सप्त सिन्धु क्षेत्र में मुगल-अफग़ान शासन का अंत करने और इस पूरे क्षेत्र को एक राजनीतिक ईकाई के रूप में व्यवस्थित करने में जिनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उनमें महाराजा रणजीत सिंह और महाराजा गुलाब सिंह का नाम सर्वोपरि है। शुरुआती दौर में महाराजा संसार चंद ने भी इस दिशा में प्रयास किए थे, लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली और वे कांगड़ा छोड़ कर सुजानपुर में सीमित हो गए थे। जिन दिनों महाराजा रणजीत सिंह ने पूरे पश्चिमोत्तर भारत को राजनीतिक लिहाज़ से एक करने के प्रयास किए, उन दिनों इस क्षेत्र में बारह से भी ज्यादा स्वतंत्र मिसलों के शासक शासन कर रहे थे। अनेक स्थानों पर छोटे-छोटे राजा राज करते थे। बड़े भूभाग पर मुग़लों-अफग़ानों का ही विदेशी शासन स्थापित हो चुका था। ऐसे अवसर पर एकमात्र एक मिसल के मालिक रणजीत सिंह की दूरदृष्टि ही कही जाएगी कि उन्होंने स्थान-स्थान पर बिखरी इस भारतीय शक्ति को एक स्थान पर और एक केसरिया झंडे के नीचे एकजुट करने का सफल प्रयास किया। उन्होंने अल्पकाल में ही सभी मिसलों को समाप्त कर एक केन्द्रीकृत राज्य की स्थापना की। इसमें रणजीत के सबसे बड़े सहयोगी सप्तसिन्धु क्षेत्र के ही एक दूसरे वीर महाराजा गुलाब सिंह हुए। गुलाब सिंह भी दूरदृष्टि रखते थे। उन्होंने अनुमान लगा लिया था कि सप्त सिन्धु में एक नई शक्ति का उदय हो रहा है जिसमें इस क्षेत्र से विदेशी शासन को समाप्त करने की क्षमता है।
सोर्स- divyahimachal