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जो सबसे अधिक तयशुदा है, हम उसी से सबसे ज्यादा खौफजदा हैं
पं. विजयशंकर मेहता जो सबसे अधिक तयशुदा है, हम उसी से सबसे ज्यादा खौफजदा हैं। मरना सबको है, बचेगा कोई नहीं। फिर भी हम मृत्यु की तैयारी के मामले में शून्य हैं। मौत को लेकर बहुत-से लोग कहते हैं आएगी, जब देखेंगे। यही तो दिक्कत है। जब आएगी, हम कुछ नहीं देख पाएंगे। उस समय देखने का काम मृत्यु ही करेगी। लेकिन, यदि तैयाारी ठीक से कर ली जाए, आखिरी समय में होश जगा लिया जाए तो फिर मौत भी आपको नमन करेगी।
इस तैयारी में भगवान ने भी हमारी मदद कर रखी है। विश्वास किया जाए तो आंकड़े बताते हैं एक मिनट में लगभग 15 लोग मरते हैं और 50 नए पैदा हो जाते हैं। जो मृत्यु की तैयारी ठीक से करेगा, उसे जीवन जीने की समझ भी ज्यादा होगी। हमने जीवन को पहाड़ जैसा बना लिया है। वैसे पहाड़ दूर से ही अच्छे लगते हैं। जो लोग वहां रहते हैं, उनकी जिंदगी तो उतरने-चढ़ने में ही बीत जाती है। इसीलिए ज्यादातर लोगों को जीवन कठिन और बोझ लगने लगता है।
मौत आते-आते थक-से जाते हैं। मृत्यु पूरी जिंदगी का मूल्यांकन होती है। हर इंसान मौत आने से पहले अपने भीतर चित्त में कुछ देखने लगता है। धड़कनें उस फ्लैश-बेक के आसपास घुटने लगती हैं। इसलिए मौत के स्वागत की तैयारी जीते-जी करते रहिए। इसमें योग बड़ा मददगार है। योग का सतत अभ्यास हमें निर्भय कर अंतिम क्षणों को दिव्य बना देता है।
Rani Sahu
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