सम्पादकीय

सड़क हादसों का जारी सिलसिला, इन्‍हें रोकने के उपायों पर प्राथमिकता के आधार पर हो अमल

Rani Sahu
30 Aug 2022 6:19 PM GMT
सड़क हादसों का जारी सिलसिला, इन्‍हें रोकने के उपायों पर प्राथमिकता के आधार पर हो अमल
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सड़क हादसों का जारी सिलसिला
सोर्स- Jagran
सड़क हादसों को लेकर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की रिपोर्ट चिंतित और साथ ही निराश करने वाली भी है। इस रिपोर्ट के अनुसार बीते वर्ष मार्ग दुर्घटनाओं में डेढ़ लाख से अधिक लोगों की जान गई। इसका अर्थ है कि सड़क सुरक्षा सप्ताह जैसे आयोजनों और मार्ग दुर्घटनाओं को रोकने के अन्य प्रयास नाकाम सिद्ध हो रहे हैं, क्योंकि कुछ वर्ष पहले तक यह आंकड़ा एक लाख मौतों के करीब था। मार्ग दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़ना इसलिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि कई ऐसे देशों के मुकाबले भारत में वाहनों की संख्या उतनी नहीं, जहां कहीं कम सड़क हादसे होते हैं।
एनसीआरबी के अनुसार करीब 60 प्रतिशत सड़क हादसे वाहनों की तेज गति के कारण होते हैं। इस कारण के मूल में जाने की आवश्यकता है, क्योंकि यातायात नियमों की अनदेखी, गलत और कई बार तो उलटी दिशा में वाहन चलाने, अतिक्रमण एवं सड़कों की खराब डिजाइन के कारण भी हादसे होते हैं। इसी तरह सड़कों के गड्ढे भी मार्ग दुर्घटना का कारण बनते हैं। गड्ढा मुक्त सड़कों का संकल्प महज एक नारा बनकर रह गया है। प्राय: प्रमुख सड़कों पर भी महीनों तक गड्ढे बने रहते हैं। उनके कारण हादसे भी होते रहते हैं, लेकिन जिन पर सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी होती है, वे चेतते ही नहीं।
एनसीआरबी के आंकड़े यह भी कह रहे हैं कि सड़कों की लंबाई में केवल 2.1 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाले राष्ट्रीय राजमार्गों में 30 प्रतिशत से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। इसका मतलब है कि जैसे-जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग बन रहे हैं, वैसे-वैसे मार्ग दुर्घटनाओं का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि सड़क हादसों के मूल कारणों की पहचान कर उनका प्राथमिकता के आधार पर निवारण किया जाए। इसमें केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारों और उनकी यातायात पुलिस को भी सजगता दिखानी होगी। इसके अलावा सड़कों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार विभागों को भी जवाबदेह बनाना होगा। अभी यह जवाबदेही केवल कागजों तक सीमित है। इसी कारण सड़कों पर दुर्घटना बहुल स्थलों की पहचान होने के बाद भी समय रहते अपेक्षित कदम नहीं उठाए जाते।
एक तथ्य यह भी है कि यातायात नियमों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की जाती। सड़क हादसों को रोकने के उपायों पर इसलिए प्राथमिकता के आधार पर अमल होना चाहिए, क्योंकि इन हादसों में अधिकतर उनकी जान जाती है, जो अपने परिवार के कमाऊ सदस्य होते हैं। इससे वह परिवार गंभीर संकट से घिर जाता है। यह संकट समाज के साथ राष्ट्र को भी प्रभावित करता है।
Rani Sahu

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