सम्पादकीय

आतंक का सिलसिला

Gulabi
4 Nov 2020 10:07 AM GMT
आतंक का सिलसिला
x
पिछले हफ्ते फ्रांस के नीस और लियोन शहर में चर्च पर हमले कर तीन लोगों को चाकुओं से मार दिया गया।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। फ्रांस और आॅस्ट्रिया में हुए आतंकी हमलों से अब यह साफ हो चुका है कि यूरोप एक बार फिर चरमपंथी इस्लामी ताकतों के निशाने पर है। पिछले हफ्ते फ्रांस के नीस और लियोन शहर में चर्च पर हमले कर तीन लोगों को चाकुओं से मार दिया गया। इसके पहले एक शिक्षक की गला काट कर हत्या कर दी गई। अब आतंकियों ने आॅस्ट्रिया की राजधानी वियना के एक कैफे में अंधाधुंध गोलियां बरसा कर आतंकियों ने सात लोगों को मार डाला। दोनों देशों की सरकारों ने इसे आतंकी हमला करार दिया है।

यह कोई पहला मौका नहीं है कि जब यूरोप के देशों को आइएस और अलकायदा के ऐसे आतंकी हमलों का सामना करना पड़ रहा है। फ्रांस में पिछले कुछ सालों में ऐसे आतंकी हमले बढ़े हैं और फ्रांस भी पूरी ताकत के साथ आतंकियों का मुकाबला कर रहा है। लेकिन चिंता की बात यह है कि यूरोप के देशों में इस्लामी चरमपंथी जिस तरह से सक्रिय हैं और हमलों को अंजाम दे रहे हैं, वह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आतंकी संगठनों ने ईसाइयत के खिलाफ लंबी जंग के लिए कमर कस ली है।

पिछले एक दशक में फ्रांस ही नहीं, यूरोप के ज्यादातर देशों को ऐसे आतंकी हमलों का दंश झेलना पड़ा है। ब्रिटेन, स्पेन, नीदरलैंड, स्वीडन जैसे देशों पर आतंकियों ने जम कर कहर बरपया। साढेÞ तीन साल पहले ब्रिटेन की संसद के बाहर हमले में पांच लोगों की मौत हो गई थी। उसी साल मैनचेस्टर में आतंकी हमले में बाईस लोग मारे गए थे। इसके बाद पेरिस सहित कई यूरोपीय शहर आतंकियों के निशाने पर रहे।

ज्यादातर हमलावर बीस से तीस साल के नौजवान ही होते हैं, जिन्हें कट्टर इस्लाम का प्रशिक्षण देकर ऐसे हमलों के लिए तैयार किया जाता है। आॅस्ट्रिया में मारे गए एक हमलावर के पास जिस तरह के हथियार और विस्फोटक मिले, उससे साफ है कि वह किसी बड़े आत्मघाती हमले की तैयारी में था। यूरोप में हो रहे ये हमले अचानक किसी घटना की परिणति नहीं हैं, बल्कि गैर-इस्लाम के खिलाफ सुनियोजित तरीके से छेड़ा गया संघर्ष है।

पेरिस में साल 2015 में शार्ली अब्दो में पैगंबर मोहम्मद को लेकर छपे कार्टूनों की घटना से इस्लामी जगत और बौखला गया है और उसके बाद से यूरोप में ऐसे हमले बढ़े हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि दुनिया के कट्टरपंथी इस्लामी मुल्क का इन हमलों को पूरा समर्थन है। वरना हाल में फ्रांस में हुए हमलों के बाद जिस तरह के बयान तुर्की, मलेशिया और पाकिस्तान जैसे कट्टर मुसलिम राष्ट्रों से आए, वे नहीं आते।

यूरोप में अब तक जितने आतंकी हमले हुए हैं, उनमें से ज्यादातर की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट और अलकायदा ने ही ली है। अब ये दोनों आतंकी संगठन मिल कर काम कर रहे हैं और पश्चिम अफ्रीका के बड़े हिस्से में अपने अड्डे बना चुके हैं। इसलिए फ्रांस ने अफ्रीका के इन आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले कर कड़ा संदेश दिया है।

तुर्की के रास्ते भी पश्चिम एशियाई देशों से आइएस आतंकी यूरोप पहुंचते हैं और यूरोप में बसे कट्टर मुसलमान आतंकी बनने सीरिया और इराक जैसे देशों को जा रहे हैं। आतंकवाद जिस तरह से दुनिया में सबसे बड़े खतरे के रूप में उभर चुका है, वह अब किसी एक देश की समस्या नहीं रह गई है। अपने हितों के लिए आतंकवादी संगठनों को खड़ा करने और दूसरों के खिलाफ उनके इस्तेमाल की नीति पर चलने वाले मुल्क भी आज इसका खमियाजा भुगत रहे हैं। इसलिए आतंक के खिलाफ दुनिया के देशों को एकजुट होना बहुत जरूरी है।

Next Story