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जीवन में सैंकड़ों संघर्षों और उतार-चढ़ाव में लंबा समय बिताने पर अनुभव की खरी कसौटी का लाभ जिसे मिलता है वह अत्यंत भाग्यशाली है, मानो बिना परिश्रम के उसने अनमोल खजाना प्राप्त कर लिया हो, जो न कि स्कूल, कॉलेज पाठ्यक्रमों से मिलता है और न ही धन देकर पाया जा सकता है। यदि वह मिलता है तो सिर्फ परिपक्व अनुभवी विशिष्ट माता-पिता के चरणों में रहकर ही प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान का भंडार जिनके पास है, वह इतना सीधा मिलता है कि उनकी सेवा और विनय से दिल जीतने वाला निहाल हो जाता है। वृद्धावस्था में आने पर जो उन्हें भार के रूप में मानता अथवा अनदेखा कर उपेक्षित रवैया अपनाता है, उससे वृद्धों की जो भावना आहत होती है उससे उनके दिल में उठने वाली व्यथा से हमारे उन्नत जीवन में व्यवधान आाता है। भारत जैसे आध्यात्मिक देश में वृद्धाश्रमों का निर्माण ही बड़ा कलंक है।
-कांति लाल मांडोत, सूरत
By: divyahimachal

Rani Sahu
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