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ताश के पत्तों की तरह बिखरते पहाड़ आगाह कर रहे हैं कि मानव अगर अभी भी नहीं संभला तो विनाश ज्यादा दूर नहीं है। बेतरतीब निर्माण और कंक्रीट के जंगल में बदलते पहाड़, जिसमें पानी की निकासी का उचित इंतजाम न होना तबाही का सबसे बड़ा कारण नजर आता है। वर्तमान परिस्थितियों में सरकार की तरफ देखना भी लगभग बेमानी ही होगा क्योंकि तबाही का मंजर लगभग हर तरफ है, जिसमें सरकार के हाथ भी काफी हद तक बंधे नजर आते हैं।
स्वाभाविक भी है, क्योंकि सरकार के पास सीमित संसाधन होते हैं और यदि लोग अपनी जिम्मेवारी सही ढंग से नहीं समझते या नहीं निभाते तो इसके लिए सरकार की तरफ देखना भी गलत ही होगा। हां सरकार से यह उम्मीद जरूर रहेगी कि हिमाचल प्रदेश के हर कोने में दो मंजिला मकान से ज्यादा की अनुमति किसी भी दशा में न दी जाए।
-अशोक ठाकुर, प्राध्यापक
By: divyahimachal
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