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- संविधान दिवस विशेष: 72...
एक सम्प्रभुता सम्पन्न समाजवादी धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य भारत के संविधान को लागू हुये 71 साल पूरे हो गये। लेकिन आज भी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की व्यवस्था को संचालित करने वाला यह विश्व का सबसे बड़ा संवैधानिक लिखित दस्तावेज प्रासंगिक तो अवश्य है लेकिन इसमें 'हम' भारत के लोगों के लिये दी गयी कुछ गारंटियां अवश्य ही ढीली पड़ गयी हैं, जिन्हें दुबारा कसने की जरूरत है। यद्यपि हमारी सजग न्यायपालिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन के मामले में हस्तक्षेप अवश्य करती है, मगर यह हस्तक्षेप तब हो पाता है जबकि हनन हो चुका होता है। यह हस्तक्षेप भी केवल सजग और सम्पन्न नागरिकों के मामलों में ही हो पाता है। जबकि आम आदमी अपने अधिकारों के हनन को अपनी नियति मान लेता है। स्वयं अदालतें भी काम के अत्यधिक बोझ के चलते समय से न्याय नहीं दे पातीं, जिस कारण न्यायार्थी न्याय से वंचित हो जाता है।