सम्पादकीय

पप्पू यादव को हीरो बनाकर तेजस्वी का तेज कम करने की साज़िश, RJD के इस आरोप में कितना है दम

Gulabi
14 May 2021 9:57 AM GMT
पप्पू यादव को हीरो बनाकर तेजस्वी का तेज कम करने की साज़िश, RJD के इस आरोप में कितना है दम
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बिहार (Bihar) में आजकल सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar), आरजेडी (RJD) नेता लालू यादव,

संयम श्रीवास्तव। बिहार (Bihar) में आजकल सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar), आरजेडी (RJD) नेता लालू यादव, आरजेडी के युवराज तेजस्वी यादव और बीजेपी के किसी खास नेता की चर्चा के बजाय जनअधिकार पार्टी (JAP) के नेता पप्पू यादव (Pappu Yadav) के चर्चे ज्यादे हैं. बिहार की युवा पीढ़ी हो या पुराने लोग पप्पू यादव के जनसरोकार वाले कार्यों से वे अभिभूत हैं. पप्पू को अचानक हीरो बनाने का काम राज्य सत्ता द्वारा होने वाले दमन ने भी किया है. बीते दिनों उन्होंने जब छापा मारकर कथित रूप से बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी के पास से कई एंबुलेंस बरामद करने की बात की थी, जिसका वीडियो भी जारी हुआ था तो उन्हें मीडिया में खूब सुर्खियां मिलीं. दरअसल बिहार की जनता आज यही समझ रही है कि पप्पू यादव को बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूड़ी के घर बरामद एंबुलेंस कांड के चलते 35 साल पुराने मामले में राज्य सरकार ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है. भारतीय राजनीति का इतिहास रहा है कि जिस नेता पर राज्य सत्ता के उत्पीड़न का आरोप लगा वो जनता के बीच हीरो बनकर उभरा. बिहार में जेपी हों या उनके चेले, केंद्र में इंदिरा गांधी सबकी चमक राज्य सत्ता के उत्पीड़न के बाद ही सामने आई.


किसी जमाने में राष्ट्रीय जनता दल के नेता और लालू परिवार के सबसे खासमखास रहे. बीते कई वर्षों से पप्पू यादव और लालू परिवार में कोई खास संबंध नहीं है पर बिहार विधानसभा चुनावों में ऐसा लग रहा था कि पप्पू यादव आरजेडी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेंगे. पर पप्पू और तेजस्वी में बनी नहीं और पप्पू अपना अलग रास्ते चल दिए. पप्पू यादव अब अपनी जनअधिकार पार्टी बना चुके हैं और उसी के बूते बिहार में राजनीति करते हैं. दरअसल पप्पू यादव पिछले कुछ वर्षों से अपने दबंग छवि को पीछे छोड़कर एक हीरो की छवि में जनता के सामने उभरे हैं. जो हर किसी की मदद करता है. चाहे बिहार में आई बाढ़ हो या फिर कोरोना महामारी, पप्पू यादव अन्य नेताओं की तरह एसी रूम में बैठ कर ट्विटर से ज्ञान नहीं बाट रहे थे बल्कि जमीन पर उतर कर लोगों के लिए काम कर रहे थे. इससे जनता में पप्पू यादव की छवि एक हीरो की बनी और उनका काम सोशल मीडिया का माध्यम से पूरे देश ने देखा.

क्या तेजस्वी का तेज कम करने की है साजिश
पप्पू यादव कि गिरफ्तारी के बाद जहां सोशल मीडिया पर बिहारी लोगों ने बवाल काटा हुआ है और ट्विटर पर #ReleasePappuYadav ट्रेंड कराया जा रहा है, वहीं बिहार की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल अलग ही राग अलाप रही है. उसके अनुसार पप्पू यादव कोई हीरो नहीं हैं और नीतीश कुमार की मिलीभगत से पप्पू यादव को हीरो बनाया जा रहा है, जिससे आरजेडी से यादव वोटबैंक को खिसकाया जाए और तेजस्वी यादव की छवि को दबाया जा सके. आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी यह लगातार कहते हैं कि असली मुददे से भटकाने के लिए सत्ता पक्ष पप्पू यादव को हीरो बनाने में लगा हुआ है, जबकि असली मुद्दा कोरोना महामारी में दवा, अस्पताल और इलाज की कमी है. तिवारी की बात में बिल्कुल दम है ऐसा नहीं होता तो पप्पू यादव को गिरफ्तार करने की इतनी जल्दीबाजी नहीं दिखाती सरकार. दरअसल जिस तरह ओवैसी को खड़ाकर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश के आरोप लगते रहे हैं उसी तरह भविष्य में पप्पू भी अगर बड़े नेता बन जाते हैं तो ये तेजस्वी और आरजेडी के लिए ग्रहण बन सकते हैं.

क्या पप्पू यादव के उभरने से तेजस्वी को नुकसान होगा
आरजेडी के नेताओं का डर केवल हवा-हवाई नहीं है बल्कि अगर पप्पू यादव एक मसीहा के तौर पर बिहार में उभरते हैं तो इससे बिल्कुल तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय जनता दल को नुकसान होगा. दरअसल बिहार में आरजेडी MY समीकरण से चलती है. यानि मुस्लिम और यादव वोट बैंक. बिहार में यादव वोट बैंक पर आरजेडी हमेशा से अकेले राज करती आई है, लेकिन अब जब लालू यादव बिहार की राजनीति में सक्रिय नहीं हैं और तेजस्वी यादव अभी राजनीति के दांव पेंच सीख रहे हैं उस वक्त अगर पप्पू यादव जैसा कोई नेता बड़ा बनता है तो यादव वोट बैंक आरजेडी को छोड़ कर उसकी तरफ शिफ्ट हो सकता है. दरअसल जातिगत वोट किसी मसीहा के बेटे में ही तुरंत शिफ्ट हो जाती है पर उसे मेंटेन करना बहुत मुश्किल होता है. जैसा दूसरे युवराजों की राजनीतिक कहानी में देखा गया है. तेजस्वी के साथ भी ऐसा हुआ है. तेजस्वी यादव के साथ बिहार में यादव वोट बैंक ऐसा शिफ्ट हुआ कि जिन यादव नेताओं ने आरजेडी के खिलाफ चुनाव लड़ा उन्हें भी यादव बाहुल्य वाले सीटों से मुंह की खानी पड़ी. खुद पप्पू यादव विधानसभा चुनाव नहीं जीत सके जहां वो बरसों से काम भी कर रहे थे और वो सीट यादव बाहुल्य वाली सीट थी. पर पप्पू यादव अपने सामाजिक कार्यों के चलते अगर हर वर्ग के अगर प्रिय बनते हैं तो यादव कम्युनिटी के वोट उनकी ओर शिफ्ट होते देर नहीं लगेगी. यही वजह है कि आरजेडी पप्पू यादव की गिरफ्तारी के पूरे प्रकरण को नीतीश कुमार समर्थित प्रोपोगेंडा बता रही है.

तेजस्वी पर अन्य युवराजों की तरह मौके पर गायब हो जाने के लगते रहे हैं आरोप
दरअसल देश में जितने युवराज हैं उनपर जनता की जरूरत के मौके पर गायब होने के आरोप लगते रहे हैं. वो चाहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी हो या समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव हों. जब जनता को जरूरत होती है तो पप्पू यादव जैसे नेता खड़े होते हैं. जब बिहार में बाढ़ की विभिषिका से जुझ रहा था उस समय तेजस्वी यादव का कही अता-पता नहीं था. पप्पू उस समय भी राहत सामग्री के साथ भरे पानी में खड़े नजर आते थे. सोशल मीडिया के जमाने में चुनावों के समय जनता के बीच पहुंचने वाले नेताओं की हकीकत दुनिया समझती जा रही है.भविष्य में राजनीति में वही सर्वाइय करेगा जो बारह महीने राजनीति करेगा.

जब नए हीरो बनते हैं तो राजनेताओं को दिक्कत होती है
चाहे बिहार हो या महाराष्ट्र जब भी कोई व्यक्ति जनता के लिए जमीन पर काम करता है तो वहां के राजनेताओं को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. उसके पीछे का कारण होता है उनका डर, नेताओं को लगता है कि दशकों से हम यहां राज करते आ रहे थे अब रातों-रात कोई नया हीरो बन कर उभर रहा है तो कहीं जनता का उनसे मोह भंग ना हो जाए. आपको याद होगा जब कोरोना की पहली लहर के दौरान देश भर में लॉकडाउन लगे थे तब बड़े शहरों से मजदूर अपने घरों की ओर पैदल ही पलायन करने को मजबूर हो गए थे. महाराष्ट्र का हाल भी यही था वहां भी मजदूर अपने घरों को जाने के लिए परेशान थे और उस दौरान महाराष्ट्र सरकार के इंतजामों की पोल खुल कर सबके सामने आ गई थी. उस वक्त सोनू सूद जो फिल्मों में ज्यादातर विलेन का रोल प्ले करते रहे हैं असल जिंदगी में हीरो की तरह आए और हज़ारों मजदूरों की मदद की. उनके द्वारा किए गए कामों को सोशल मीडिया ने खूब सराहा.

बड़े-बड़े अखबारों में उनकी फ्रंट पेज पर फोटो छपने लगी. लेकिन उनकी लोकप्रियता महाराष्ट्र में सरकार चला रही शिवसेना को अच्छी नहीं लगी, सामना में अपने लेख में शिवसेना नेता संजय राउत ने लिखा की इस देश में लोगों को ऐसे ही रातों-रात हीरो बना दिया जाता है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि सोनू सूद बहुत चालाकी से महात्मा सूद बनना चाहता है. हालांकि इस पर जब लोगों ने आपत्ती जतानी शुरू की और शिवसेना को लगा कि उसकी भारी किरकिरी हो जाएगी तो खुद उद्धव ठाकरे ने सोनू सूद से मुलाकात की और उनके काम की तारीफ की. यही हाल अब बिहार में हो रहा है, पप्पू यादव भले कोई फिल्म अभिनेता नहीं हैं लेकिन एक ऐसे नेता जरूर हैं जो बीते कुछ सालों से जमीन पर काम कर रहे हैं और लोगों की मदद कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में वह बिहार के एक बड़े नेता के तौर पर उभरे तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.




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