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सम्पादकीय
बीरभूम की घटना के पीछे बंगाल सरकार को बदनाम करने की साजिश- ममता बनर्जी
Gulabi Jagat
25 March 2022 12:12 PM GMT
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बंगाल के बीरभूम जिले में भयावह हिंसा के कारण विपक्ष के निशाने पर आई तृणमूल कांग्रेस के नेता इस घटना से कितना चिंतित हैं
बंगाल के बीरभूम जिले में भयावह हिंसा के कारण विपक्ष के निशाने पर आई तृणमूल कांग्रेस के नेता इस घटना से कितना चिंतित हैं, इसका पता इस दल के सांसदों की गृहमंत्री अमित शाह से की गई उस मुलाकात से चलता है, जिसमें उन्होंने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग की। क्या यह विचित्र नहीं कि जब उन्हें बंगाल की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए था, तब उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधना बेहतर समझा? राज्यपाल को हटाने की मांग पहली बार नहीं की गई।
राज्यपाल बंगाल की बदहाल कानून एवं व्यवस्था और खासकर वहां राजनीतिक हिंसा की न थमने वाली घटनाओं पर जब भी कुछ कहते हैं, तृणमूल कांग्रेस के नेता उन पर हमलावर हो जाते हैं। कई बार तो खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उन्हें खरी-खोटी सुना चुकी हैं। वह उन्हें सार्वजनिक तौर पर अपमानित भी कर चुकी हैं। इसके साथ ही वह जब-तब संघीय ढांचे की बात भी करती रहती हैं।
बीरभूम में तृणमूल कांग्रेस के एक नेता की हत्या के बाद इसी दल के विरोधी माने जाने वाले लोगों को जिस तरह जिंदा जलाकर मार दिया गया, उससे सारा देश दहल गया, लेकिन ममता बनर्जी की पहली प्रतिक्रिया यह थी कि इस तरह की घटनाएं तो दूसरे राज्यों में भी होती रहती हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि बीरभूम की घटना के पीछे बंगाल सरकार को बदनाम करने की साजिश नजर आती है।
यह रवैया यदि कुछ कहता है तो यही कि कानून एवं व्यवस्था को ठीक करना ममता सरकार की प्राथमिकता नहीं। वास्तव में यही कारण है कि बंगाल की गिनती उन प्रदेशों में होने लगी है, जहां कानून एवं व्यवस्था की हालत राष्ट्रीय चिंता का विषय बन गई है। इसकी एक बड़ी वजह हिंसा और अवैध गतिविधियों में लिप्त तत्वों को दिया जाने वाला राजनीतिक संरक्षण है। इसी कारण बंगाल पुलिस भी या तो कानून एवं व्यवस्था को चुनौती देने वालों के समक्ष असहाय दिखती है या फिर उनकी गतिविधियों के आगे मूकदर्शक बनी रहती है। इसी कारण विधानसभा चुनावों के बाद वहां भीषण हिंसा हुई थी। वास्तव में बंगाल में राजनीतिक हिंसा का सिलसिला कभी थमता नहीं। बंगाल में चुनावों के दौरान और उसके बाद हिंसा ने एक परंपरा का सा रूप ले लिया है। इस हिंसा के पीछे निकाय चुनावों के दौरान तृणमूल कांग्रेस के दो गुटों के बीच उभरे वैमनस्य को ही जिम्मेदार माना जा रहा है।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat
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