सम्पादकीय

गलत निर्णय का परिणाम

Gulabi
6 Jan 2022 4:37 AM GMT
गलत निर्णय का परिणाम
x
इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के आर्बिट्रेशन कोर्ट ने 2011 में एंट्रिक्स कॉर्प के साथ रद्द हो गए एक उपग्रह समझौते में
तब भी कहा गया था कि ऐसे फैसलों का दूरगामी प्रभाव बहुत बुरा होगा। अब एक और ताजा मामला सामने है। कनाडा की एक अदालत ने देश के क्यूबेक प्रांत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की एयरलाइंस एयर इंडिया और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की संपत्तियां जब्त करने को मंजूरी दे दी है।
पूर्व यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल को कई गलत फैसलों और उस दौरान भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नाम पर बनाए गए विवेकहीनता के माहौल के लिए याद रखा जाएगा। कई गलत फैसलों के पीछे उस माहौल से बने दबाव का भी हाथ था। एक ऐसा ही फैसला डेवास सौदे को रद्द करने का था। तब भी कुछ विवेकशील लोगों ने यह कहा था कि ऐसे फैसलों का दूरगामी प्रभाव बहुत बुरा होगा। इसके ऐसे कई प्रभाव हम देख चुके हैँ। अब एक और ताजा मामला सामने है। कनाडा की एक अदालत ने देश के क्यूबेक प्रांत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की एयरलाइंस एयर इंडिया और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईएटीए) की संपत्तियां जब्त करने को मंजूरी दे दी है। ये खबर अब सामने आई है कि 24 नवंबर और 21 दिसंबर को सुपीरियर कोर्ट ऑफ क्यूबेक ने दो अलग-अलग आदेश जारी किए। इन आदेशों में दिखाया गया है कि भारत में हवाई अड्डों का संचालन करने वाली संस्था आईएटीए की 68 लाख डॉलर (50 करोड़ रुपये से ज्यादा) की संपत्ति जब्त कर ली गई है। इसके अलावा एयर इंडिया की संपत्ति भी जब्त की गई है, जिसकी असली कीमत अभी सार्वजनिक नहीं हुई है। लेकिन खबरों के मुताबिक डेवास के शेयरधारकों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि भारत की तीन करोड़ डॉलर से ज्यादा की संपत्ति उन्होंने जब्त कर ली है।
इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के आर्बिट्रेशन कोर्ट ने 2011 में एंट्रिक्स कॉर्प के साथ रद्द हो गए एक उपग्रह समझौते में उसे 1.3 अरब डॉलर का मुआवजा डेवास को देने का आदेश भी दिया है। एंट्रिक्स कॉर्प भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो की व्यवसायिक शाखा है। कंपनी के विदेशी हिस्सेदारों ने भारत के खिलाफ अमेरिका, कनाडा और कई अन्य जगहों पर मुकदमा ठोका था। उन्होंने भारत पर समझौते की शर्तें ना निभाने का आरोप लगाया था। इसके पहले भारत में तेल और गैस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी केयर्न को दिसंबर 2020 में हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने 1.2 अरब डॉलर से भी ज्यादा के हर्जाने का हकदार घोषित किया था। ये मामला बीती तारीख से टैक्स लगाने के पूर्व यूपीए सरकार के फैसले से जुड़ा है। सबक यह है कि भारत में शर्तों और नियमों की भले परवाह ना की जाती हो, दुनिया में उन पर अमल के लिए कायदे तय हैँ। उन कायदों का उल्लंघन देर-सबेर महंगा साबित होता है।
नया इण्डिया
Next Story