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शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर जो भी हुआ वह न सिर्फ निंदनीय है बल्कि एक चेतावनी भी है कि
शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर जो भी हुआ वह न सिर्फ निंदनीय है बल्कि एक चेतावनी भी है कि किसान आंदोलन के नाम पर देश और समाज को बांटने की राजनीति को गति मिलती जा रही है. सिंघु बॉर्डर पर बड़ी तादाद में कुछ लोग आए जो अपने को स्थानीय निवासी कह रहे थे और सड़क पर लगे टेंट को उखाड़ने लगे. आंदोलनकारी पिछले दो महीनों से वहां ट्रैफिक रोक कर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. दोनों गुटों में झड़प हुई, पत्थरबाजी भी हुई, पुलिस पर हमला हुआ और चंद घंटों बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी मुख्यालय पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते दिखे.
शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में 17 विपक्षी दलों ने संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सब कुछ एक सुनियोजित तरीके से हो रहा है. 26 जनवरी को किसानों की 'शांतिपूर्ण' ट्रैक्टर रैली के नाम पर दिल्ली शहर में जो तांडव हुआ वह भी जगजाहिर है. एक जमाना था जब देश में कांग्रेस पार्टी की सरकार होती थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री होती थीं. देश में कुछ भी ऐसा हो जाए और इससे पहले कि इंदिरा सरकार पर उंगली उठे, अदृश्य विदेशी हाथ के सिर जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ दिया जाता था.
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस पार्टी का काम करने का तरीका अभी भी वही है. बस अब विदेशी हाथ की जगह बीजेपी या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आरोप लगाया जाता है. आरोप लगा कि लाल किले पर 26 जनवरी को 'केसरी' झंडा फहराने वाला बीजेपी का आदमी था जो पंजाबी सिनेमा का अभिनेता है. सबूत के तौर पर उसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ ली गई फोटो पेश की गई. अगर मान भी लिया जाए कि वह इंसान कभी बीजेपी का समर्थक था तो इसकी क्या गारंटी है कि लाल किले पर जो हुआ, दिल्ली की सड़कों पर जिस तरह से अराजकता दिखी, उस सब के पीछे बीजेपी का ही हाथ है?
बीजेपी 'समर्थक' पर हल्लाबोल
देश में आए दिन जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि अपना दल बदलते नजर आते हैं तो क्या यह संभव नहीं है कि वह बीजेपी का समर्थक अब कांग्रेस का समर्थक बन गया हो? अगर कांग्रेस पार्टी पर हरियाणा के एक किसान नेता को आंदोलन जारी रखने के लिए 10 करोड़ रुपये देने का आरोप लग सकता है तो क्या यह संभव नहीं है कि किसी विफल अभिनेता को पैसे और शोहरत का लालच दे कर ऐसा करवाया गया हो? पंजाब में तो कांग्रेस की सरकार है और वह असफल अभिनेता पंजाब का ही रहने वाला है. तो क्यों पंजाब पुलिस उस अभिनेता को अभी तक ढूंढने में असफल रही है?
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राहुल गांधी का बयान
अब नजर डालते हैं राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर. सरकार को चेतावनी के नाम पर लगा जैसे वे आगे की रणनीति बता रहे हैं- यह आंदोलन अब दूसरे शहरों में फैलेगा, देश को नुकसान होने वाला है, सरकार यह न सोचे कि किसान घर वापस चले जाएंगे, वगैरह-वगैरह. राहुल गांधी के अनुसार सिंघु बॉर्डर पर सरकार किसानों को पीट रही है. "एक इंच पीछे नहीं हटिए, हम सब आपके साथ हैं, हम आपकी पूरी सहायता करेंगे, क्योंकि यह आपके भविष्य का सवाल है," राहुल गांधी ने मीडिया के जरिये किसानों को यह संदेश देने की कोशिश की.
कांग्रेस पार्टी किसान आंदोलन के पीछे है और किसानों के कंधे पर बंदूक रख कर नरेंद्र मोदी सरकार पर गोली दागने की कोशिश कर रही है, इसमें कोई शक की गुंजाइश शुरू से ही नहीं थी. पर जिस तरह राहुल गांधी सरकार को धमकी देते नजर आए कि अगर तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो आंदोलन किसानों तक ही सीमित नहीं रहेगा और स्लम यानी झुग्गी-झोपड़ियों तक फैलेगा.
राहुल की नजर में कृषि कानून
राहुल गांधी ने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि ज्यादातर लोगों को इन कृषि कानून में क्या है इसके बारे में पता भी नहीं है. राहुल गांधी ने इसका विश्लेषण भी किया. पहला कानून कृषि मंडी व्यवस्था खत्म कर देगा, दूसरा कानून पूंजीपतियों को अनाज भंडारण की इजाजत देगा जिससे किसान अपने फसल का मूल्य भी नहीं तय कर पाएंगे, और तीसरा अगर किसी किसान को उन पूंजीपतियों से शिकायत है तो वे तो कोर्ट भी नहीं जा सकेंगे.
राहुल गांधी का मानना कि इन कानूनों के बारे में लोगों को पता नहीं है और उसका इस तरह से विश्लेषण करना साफ दर्शाता है कि किसानों को गलत जानकारी देकर भड़काया और फुसलाया जा रहा है, ताकि मोदी सरकार अस्थिर हो जाए और कांग्रेस का सपना साकार हो जाए. राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को शायद यह नहीं पता कि ये पब्लिक है जो सब जानती है कि सरकार गिराने के लिए 2024 तक इंतजार न करना और उनके इस उतावलेपन का कारण क्या है?
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