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![सांप्रदायिक पार्टियों से दूर रहे कांग्रेस सांप्रदायिक पार्टियों से दूर रहे कांग्रेस](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/03/04/967516-kangrec.webp)
कांग्रेस ऐतिहासिक गलती कर रही है। आजादी की लड़ाई के दौरान कांग्रेस ने देश के सभी वर्गों को आंदोलन के साथ जोड़ने के हजार तरह के उपाय किए लेकिन कभी सांप्रदायिक ताकतों का साथ नहीं लिया था। दूसरे-तीसरे दशक में महात्मा गांधी ने एक बार जरूर खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया पर उससे पहले और बाद में भी कांग्रेस मोटे तौर पर सांप्रदायिक सोच और सांप्रदायिक पार्टियों से हमेशा दूर ही रही। ऐसा नहीं है कि उस समय धर्म व जाति की राजनीति करने वाली पार्टियां नहीं थीं। हिंदू महासभा एक मजबूत ताकत थी तो 1925 में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का भी गठन हो गया था। मुस्लिम लीग का उभार भी आजादी की लड़ाई के समानांतर रहा पर कांग्रेस मुस्लिम लीग से वैसे ही लड़ी, जैसे अंग्रेजों से लड़ी। इसके कुछ अपवाद हो सकते हैं। जैसे पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपनी सरकार में मंत्री बनाया या राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को गणतंत्र दिवस की परेड में आमंत्रित किया। पर इससे ज्यादा कांग्रेस ने कभी सांप्रदायिक ताकतों को तरजीह नहीं दी।
![Gulabi Jagat Gulabi Jagat](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/03/14/1542630-c76cdf9c-3b9f-4516-be18-f703e9bac885.webp)