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शिमला में कांग्रेस की हाजिरी में मुद्दे, महफिल व मकसद स्पष्ट था और साथ ही मंच से मैत्री करते उद्बोधन भी नेताओं के कद और पद की तारीफ कर गए। बेशक शिमला रैली में कांग्रेस अपने आदर्शों के अनुशासन में दिखी, लेकिन क्या यह जमावड़ा इस भावना को चुनाव तक ढो पाएगा। इस बार कांग्रेस के पास स्व. वीरभद्र सिंह जैसा कोई हाथी का पांव नहीं, लेकिन कई ऊंचे शिखर जरूर हैं जो गाहे-बगाहे मुख्यमंत्री पद की ख्वाहिश में अपने-अपने प्रदर्शन की चमक दिखाने से परहेज नहीं करते, फिर भी शिमला सम्मान समारोह की गर्जना कुछ नेताओं को विशिष्ट बना देती है। यहां कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के साथ प्रचार प्रभारी के व्यक्तित्व का प्रचार होता है, तो पिछले सालों में सरकार के खिलाफ डटे रहे नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की प्रचार सामग्री भी सामने आती है। दरअसल कांग्रेस की चुनावी यात्रा शिमला के इस समारोह से शुरू हो रही है और जहां पार्टी के खास और आम को यह समझा दिया गया कि श्रीमती प्रतिभा सिंह के आजू-बाजू में सखविंद्र सुक्खू व मुकेश अग्निहोत्री की अहमियत क्या है। इन तीनों नेताओं के संबोधन तरकश के तीर की तरह थे, तो लफ्जों में आत्मविश्वास की सौम्यता भी थी। पहली बार प्रतीत हुआ कि कोई पार्टी हाल ही में चार उपचुनाव जीतकर आई है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली
