सम्पादकीय

कांग्रेस सम्मान की गर्जना

Rani Sahu
6 May 2022 5:34 PM GMT
कांग्रेस सम्मान की गर्जना
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शिमला में कांग्रेस की हाजिरी में मुद्दे, महफिल व मकसद स्पष्ट था

शिमला में कांग्रेस की हाजिरी में मुद्दे, महफिल व मकसद स्पष्ट था और साथ ही मंच से मैत्री करते उद्बोधन भी नेताओं के कद और पद की तारीफ कर गए। बेशक शिमला रैली में कांग्रेस अपने आदर्शों के अनुशासन में दिखी, लेकिन क्या यह जमावड़ा इस भावना को चुनाव तक ढो पाएगा। इस बार कांग्रेस के पास स्व. वीरभद्र सिंह जैसा कोई हाथी का पांव नहीं, लेकिन कई ऊंचे शिखर जरूर हैं जो गाहे-बगाहे मुख्यमंत्री पद की ख्वाहिश में अपने-अपने प्रदर्शन की चमक दिखाने से परहेज नहीं करते, फिर भी शिमला सम्मान समारोह की गर्जना कुछ नेताओं को विशिष्ट बना देती है। यहां कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के साथ प्रचार प्रभारी के व्यक्तित्व का प्रचार होता है, तो पिछले सालों में सरकार के खिलाफ डटे रहे नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की प्रचार सामग्री भी सामने आती है। दरअसल कांग्रेस की चुनावी यात्रा शिमला के इस समारोह से शुरू हो रही है और जहां पार्टी के खास और आम को यह समझा दिया गया कि श्रीमती प्रतिभा सिंह के आजू-बाजू में सखविंद्र सुक्खू व मुकेश अग्निहोत्री की अहमियत क्या है। इन तीनों नेताओं के संबोधन तरकश के तीर की तरह थे, तो लफ्जों में आत्मविश्वास की सौम्यता भी थी। पहली बार प्रतीत हुआ कि कोई पार्टी हाल ही में चार उपचुनाव जीतकर आई है।

कांग्रेस ने समारोह से बहुत कुछ बटोरा है। ऐसे में आज की तारीख में ही मुद्दों की बिसात पर महंगाई, बेरोजगारी और कर्मचारी मसलों में ओपीएस की तरफदारी, कांग्रेस को अपना मार्ग प्रशस्त करने के लिए आत्मबल दे रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में श्रीमती प्रतिभा सिंह का आसीन होना वास्तव में आज दिखाई दिया, तो कहीं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की छांव में पलते सत्ता के सपनों ने अभिवादन किया। मंडी संसदीय क्षेत्र की हार को भाजपा वीरभद्र के पक्ष में सहानुभूति की लहर के रूप में देखती रही है, लेकिन शिमला के मंच के उद्गार फिर कहीं न कहीं राज्य का नाता पूर्व मुख्यमंत्री से जोड़ रहे हैं। इसलिए नपी-तुली शैली में प्रतिभा सिंह पार्टी की संवेदना को उसी मुकाम पर ले आती हैं जहां 'राजा पुन: राजनीति का परिभाषित प्रतीक बन जाता है। इतना ही नहीं, वह शिमला नगर निगम चुनाव को अपने कंधे पर उठाने का एक तरह का आश्वासन देती हैं और यह परीक्षा पार्टी के उज्ज्वल भविष्य की कामना कर सकती है। इसी तरह सुखविंद्र सुक्खू के आश्वासन में संगठनात्मक ताकत का एहसास शिरकत करता, तो उन तमाम नागफनियों को भयभीत करता है, जो गाहे-बगाहे कांग्रेस के अभियान की मूंछ मरोड़ती हैं। कांग्रेस को आगे कैसे बढऩा है, इसको लेकर शिमला में नेता खूब बोले, लेकिन जिसने पिछले साढ़े चार साल सत्ता से लोहा लिया, उस मुकेश अग्निहोत्री की धार मुखर रही।
मुद्दे, आंकड़े और सत्ता के खिलाफ अपनी फेहरिस्त में मुकेश का संबोधन किसी चुनावी घोषणापत्र के मानिंद बता गया कि यूं ही प्रतिपक्ष का नेता नहीं बना जा सकता। अग्निहोत्री ने नशे की तस्करी, रेत-बजरी के माफिया से लेकर अवैध शराब और बारूद फैक्टरी के प्रकरणों पर सरकार को घेरने का अपना प्रण दोहराया, तो पार्टी को भी भरोसा हुआ होगा कि सरकार विरोधी लहरों के संगम पर यह व्यक्ति भी किसी चट्टान से कम नहीं। बहरहाल आत्मविश्वास से लबरेज कांग्रेस पार्टी ने पहली पेशकश में अपना हलक खोलकर यह स्पष्ट किया कि इस बार वह 'सत्ता को अपनी गलतियों के कारण गंवाने के मूड में तो नहीं है। शिमला समारोह 'पंजाब की गलतियों का जवाब देता हुआ यह मिन्नत भी कर रहा था कि प्रत्याशियों को टिकट जीत के आधार पर दिए जाएं और यह भी कि मुख्यमंंत्री बनने से पहले इतने एमएलए जीतकर लाने पड़ेंगे कि इस बार बहुमत पर 'आप का डाका न पड़े। भाजपा के बाद कांग्रेस भी चुनावी लड़ाई में आम आदमी पार्टी के जिक्र को धुएं में उड़ा रही है और इस तरह दो परंपरागत पार्टियां चाहती हैं कि जनता उनके बीच ही अपना भविष्य तय करे। ऐसे में देखना यह होगा कि प्रमुख पार्टियों के बीच 'आप के तंबू में कितने लोग युद्धनाद करेंगे। शिमला के ध्रुव में कांग्रेस के असरदार होने की खबर के बाद पूरे हिमाचल में ऊंट किस करवट बैठता है, यह देखना होगा।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली


Rani Sahu

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