सम्पादकीय

कांग्रेस का नेतृत्व

Subhi
28 April 2022 6:03 AM GMT
कांग्रेस का नेतृत्व
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काफी दिनों से प्रशांत किशोर के कांग्रेस में आने का शोर-शराबे अब खत्म हुआ। प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कर दिया कि वे कांग्रेस में नहीं शामिल हो रहे हैं। साथ ही उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में सुधार का सुझाव देकर असंतुष्ट खेमे का मूक समर्थन कर दिया।

Written by जनसत्ता: काफी दिनों से प्रशांत किशोर के कांग्रेस में आने का शोर-शराबे अब खत्म हुआ। प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कर दिया कि वे कांग्रेस में नहीं शामिल हो रहे हैं। साथ ही उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में सुधार का सुझाव देकर असंतुष्ट खेमे का मूक समर्थन कर दिया। प्रशांत किशोर को एक सफल राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में देखा जाता है, जो अपनी सफल चुनावी रणनीतियों की वजह से कई राजनीतिक दलों को जीत दिलवा चुके हैं।

शायद वे भी कांग्रेस पार्टी जैसी डूबती नाव में बैठ कर अपनी छवि धूमिल नहीं करना चाहते होंगे, तभी उन्होंने कांग्रेस में आने की सभी अटकलों पर विराम लगा दिया। इस घटना से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को कुछ सीख जरूर लेनी चाहिए कि जब सभी पार्टी हितैषी और शुभचिंतक कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर टिपण्णी कर रहे हैं, तो उस बात में कुछ तो दम होगा ही। इसलिए कांग्रेस को एक बार फिर आत्ममंथन करने की जरूरत है और अगर 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को कुछ सकारात्मक परिणाम देखने हैं, तो जी 25 में से कुछ वरिष्ठ नेताओं को कांग्रेस की बागडोर संभालने की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए। इसके दो फायदे होंगे। एक तो कांग्रेस को परिवारवाद से मुक्ति मिलेगी और कांग्रेस के बिखराव को रोका जा सकेगा।

गांधी परिवार को शीर्ष नेतृत्व से अपने आप को कुछ समय के लिए दूर कर लेना चाहिए तथा दूर रह कर पार्टी का सहयोग करना चाहिए। इससे जनता के बीच कांग्रेस की परिवारवाद वाली छवि को तोड़ने में मदद मिलेगी और मतदाता नए नेतृत्व को परखने के लिए फिर से कांग्रेस को अवसर दे सकता है। कांग्रेस देश की एक राष्ट्रीय स्तर की मजबूत पार्टी रही है उसने शायद कई राजनीतिक रणनीतिकार देश को दिए होंगे, उसे रणनीतिकारों को कुछ खास जरूरत नहीं पड़ने वाली।


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