- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- कांग्रेस का कुछ नहीं...
x
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस ज्वाईन करने से मना कर दिया है
Apoorv Bhardwaj
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस ज्वाईन करने से मना कर दिया है. इसकी सही वजह देर सबेर सबको पता चल ही जाएगी. पर, मुझे लगता है कि कांग्रेस के कुछ मट्ठा मठाधीश परिवर्तन से डरते हैं. वो समझते हैं कि अगर PK आ गया तो बरसों पुरानी उनकी दुकानों पर ताला लग जाएगा. इस वजह से जिन ठेकों में बीजेपी की सरकारों में भी हिस्सेदारी मिल रही है, वो बंद हो जायेगी. उनकी सारी सेटिंग गड़बड़ा जायेगी.
यह बहुत बड़ी गलतफहमी है कि यह नेता गांधी परिवार के वफादार हैं. उनसे प्रेम करते हैं. इसलिए वो गैर गांधी के अध्यक्ष बनने का विरोध करते हैं. असलियत यह है कि यह लोग एक नंबर के सेल्फिस और सेल्फ सेंटर्ड लोग हैं. जो सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं, राहुल गांधी तो कब से अध्यक्ष का पद छोड़ चुके हैं, पर पद और धन के लालची नेता आज भी अपने पद पर क़ायम हैं और अपनी अगली पीढ़ियों तक का भविष्य सुधारने की जुगाड़ में लगे हुए हैं. इन्हें कांग्रेस और उनकी विचारधारा से कभी कोई मतलब था और न आगे रहेगा.
आपको एक छोटा सा उदाहरण बताता हूं, अपने आपको राहुल गांधी का खासम खास कहने वाले सुरजेवाला साहब ने अपना वोट खराब करके सुभाष चंद्रा को राज्यसभा पहुंचा दिया था. यह वो ही सुभाष चंद्रा हैं, जिनका जी न्यूज दिन रात राहुल गांधी को पप्पू और गालियां बोलता रहता है. सुरजेवाला तो उप चुनाव में भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए हैं. यह देश का दुर्भाग्य है कि राहुल गांधी इन हवाई नेताओं की सलाह मानते हैं.
प्रशांत किशोर को मैं पिछले 12 साल से जानता हूं. वो मेरे डोमेन में बहुत सीनियर हैं. वो एक बहुत ही हार्डकोर प्रोफ़ेशनल आदमी हैं. मैंने उनसे अच्छा रणनीतिकार औऱ विश्लेषक नहीं देखा है. कांग्रेस को उसकी जड़ों तक पहुंचाने के लिए आमूलचूल परिवर्तन की बात कर रहे थे. उसमें व्यापक सुधारों की बात कर रहे थे. क्योंकि उसके बिना कांग्रेस का उद्धार संभव नहीं था. पर कांग्रेस के नाम से अपनी दुकान चलाने वाले को यह मंजूर नहीं था.
कांग्रेस का मतलब गांधी परिवार ऐसा तो बापू और नेहरू का भी मानना नहीं था, महात्मा गांधी के लिए कांग्रेस एक विचार था. परिवार नहीं, नेहरू जी के लिए कांग्रेस परिवार नहीं भारत का विचार था. स्वतंत्रता आंदोलन से जन्मी पार्टी, जो भारत की जनता की आवाज बनी थी. आज सत्ता के साहूकारों के हाथों गिरवी रख दी गई है और एक समय ऐसा भी आएगा कि कोई इसे खरीदने वाला भी नहीं मिलेगा. मैं कम लिखा हूं, आप ज्यादा समझना.
Rani Sahu
Next Story