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- गाली के सहारे
कांग्रेस ने पहली बार प्रधानमंत्री मोदी को गाली नहीं दी है। यह बदजुबानी ही नहीं, बददुआ भी है। गाली देने का सिलसिला 2007 में शुरू हुआ था, जब मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं दूर-दूर तक नहीं थीं। अलबत्ता वह गुजरात के मुख्यमंत्री जरूर थे। 2007 चुनाव-वर्ष था। विधानसभा के चुनाव होने थे। गोधरा कांड को एक अंतराल बीत चुका था। सर्वोच्च अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल गोधरा सांप्रदायिक हादसे के कारणों और हत्यारी इकाइयों की जांच कर रहा था। जांच दल ने मुख्यमंत्री मोदी से भी घंटों पूछताछ की थी। उस माहौल में यूपीए-कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सार्वजनिक मंच से मुख्यमंत्री को 'मौत का सौदागर' कहा था। चुनाव वहीं से करवट बदल गया। भाजपा को अपेक्षा से अधिक जनादेश हासिल हुआ। मई, 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री चुने गए। उससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान और प्रधानमंत्री बनने के बावजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर उन्हें 'चायवाला' कहकर संबोधित करते रहे। चलो, यह कुछ हद तक मर्यादित संबोधन था, क्योंकि मोदी ने बचपन में चाय बेची थी। मणिशंकर ने पाकिस्तान में जाकर भारत के प्रधानमंत्री की खुली निंदा की और सरकार गिराने में मदद की गुहार की।
सोर्स - divyahimachal