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- 12वीं की परीक्षा की...
आदित्य नारायण चोपड़ा| कोरोना के कारण केवल सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था ही चित्त नहीं हुई है बल्कि शैक्षणिक व्यवस्था भी इसने चौपट करके रख दी है। महामारी के चलते पिछला पूरा एक वर्ष स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्राें का न केवल बेकार गया है बल्कि देश की होनहार नई पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के सपनों को भी इसने निगलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अपनी मेधा और प्रतिभा के बल पर आगे बढ़ने के इस पीढ़ी के सपनों को भारी आघात लगा है। मगर वक्त की नजाकत को देखते हुए हमें इसके बीच से ही कोई ऐसा रास्ता निकालना होगा जिससे नौजवान नस्लों में लगातार जोश बना रहे और उनका अपनी योग्यता पर विश्वास डिगने न पाये। जहां तक दसवीं स्कूल तक के बच्चों का सवाल है तो सरकारी शैक्षिक संस्थानों ने पहले ही इनकी परीक्षाएं रद्द करने का ऐलानकरते हुए साफ कर दिया है कि स्कूली स्तर पर छात्रों की योग्यता का आंकलन करते हुए उन्हें अगली कक्षाओं में प्रोन्नत कर दिया जायेगा परन्तु 12वीं की परीक्षा प्रत्येक किशोर या किशोरी के जीवन का वह महत्वपूर्ण मोड़ होता है जिसमें उसकी भविष्य की आकांक्षाएं छिपी रहती हैं। अरमानों को पूरा करने के लिए प्रत्येक छात्र कठिन प्रतियोगिता में भाग लेकर उच्च शिक्षा के पायदान पर कदम रखता है और अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करने में भी सक्षम होता है। पूरे देश से लाखों की संख्या में 12वीं पास छात्र इंजीनियरिं से लेकर मेडिकल व प्रबन्धन आदि की विशेषज्ञ परीक्षाओं में बैठकर अपने भविष्य को सुन्दर बनाने का सपना पालते हैं।