सम्पादकीय

संक्रमण की तीसरी लहर पर असमंजस और ऊहापोह कोरोना के खिलाफ हमारी जंग को कर सकता कमजोर

Triveni
3 July 2021 7:18 AM GMT
संक्रमण की तीसरी लहर पर असमंजस और ऊहापोह कोरोना के खिलाफ हमारी जंग को कर सकता कमजोर
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कोरोना की दूसरी लहर इस माह विदा हो सकती है, मगर तीसरी लहर आशंकित है

संजय पोखरियाल| कोरोना की दूसरी लहर इस माह विदा हो सकती है, मगर तीसरी लहर आशंकित है। तीसरी लहर के आने न आने पर असमंजस है तो इस बात को लेकर भी कि यह कब दस्तक देगी। विशेषज्ञों और विज्ञानियों में से किसी का आकलन अगले दो महीने में है तो कोई इसकी आमद अगले साल बता रहा है। अगर कोरोना की तीसरी लहर आएगी ही चाहे जब आए तो फिर इस सवाल पर भी ऊहापोह है, क्या दूसरी लहर के मुकाबले यह कमजोर होगी या ज्यादा मारक? इस पर भी विशेषज्ञ एकमत नहीं हैं। ढाई महीने पहले इस बात की आशंका व्यक्त की गई थी कि तीसरी लहर का असर गांवों और सुदूर क्षेत्रों में घातक होगा। स्वास्थ्य संजाल का सघन न होना, कम टीकाकरण और जागरूकता का अभाव इसके कारण हैं, लेकिन अब इस मामले में भी विचार बदल गया है।

लेकिन इसके उलट भी तमाम बयान हैं कि हमने दूसरी लहर से सबक भले ही लिए हों, मगर तीसरी लहर की तैयारी बहुत नगण्य है। सबब यह कि जितने मुंह, उतनी बातें। ये बातें इंटरनेट मीडिया की गपशप नहीं हैं, बल्कि विभिन्न आधिकारिक और प्रतिष्ठित विश्वस्त माने जाने वाले स्रोतों द्वारा निकली हैं। अपने क्षेत्र के मान्य व्यक्तियों, विशेषज्ञों ने कही हैं। पर कुल मिलाकर भ्रम ही पैदा करती हैं। सरकार विरोधी कहते हैं, तीसरी लहर सरकारी भ्रम है। कहीं नहीं आने वाली। जब यह नहीं आएगी तो सरकार अपनी तैयारियों और कार्यकुशलता का ढिंढोरा पीटेगी, अपनी पीठ खुद ठोकेगी।
इस बीच एक तथ्य यह भी है कि सबके लिए तीसरी लहर आशंका है तो फार्मा क्षेत्र के लिए संभावना। इसे भी अनेक संदर्भो में समझने की जरूरत है। प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. राघवन, नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल, एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया समेत कई दिग्गजों का कहना है कि तीसरी लहर का आना तय है। दुनियाभर के 40 स्वास्थ्य विशेषज्ञ, चिकित्सक, विज्ञानी, विषाणुविज्ञानी और महामारी विशेषज्ञों के बीच एक न्यूज एजेंसी के सर्वे का नतीजा यह निकला कि अलग अलग समय पर ही सही, पर सभी ने माना कि कोरोना की तीसरी लहर जरूर आएगी। पर यह स्पष्ट रूप से नहीं कह पाए कि कब आएगी।
कुछ विज्ञानियों का विचार है कि तीसरी लहर इस बात पर निर्भर करती है कि लोग कितने बेपरवाह हुए और वायरस ने स्वयं में किस तरह का बदलाव किया। इन आकलनों में बहुत सी गणनाएं सरकारी आंकड़ों पर आधारित हैं। आंकड़े जितने शुद्ध होंगे, आकलन उतने ही सटीक। तीसरी लहर कितनी मारक होगी मतभेद इसको लेकर भी है। कई विशेषज्ञों के अनुसार यह संक्रमण दर में थोड़ी बढ़ोतरी भर हो सकती है तो कुछ का विचार है कि लहर उतनी घातक कतई नहीं होगी जितनी पहली या दूसरी। तर्क यह कि लहर आने तक व्यापक वैक्सीनेशन हो चुका होगा और लोग हर्ड इम्युनिटी के अलावा नेचुरल इम्युनिटी से भी लैस होंगे। अधिकांश विशेषज्ञों ने कहा कि तीसरी लहर पर सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा, वह दूसरी लहर के मुकाबले बेहतर तरीके से निपटेगी। पर यह भी है कि तब तक वायरस अपनी उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के लिए म्यूटेट होकर किसी और अधिक संक्रामक व मारक वैरिएंट में न बदल जाए। लहर का असर कितना होगा यह संदेह के घेरे में है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस के प्रमुख कहते हैं, तीसरी लहर में बच्चों के लिए हालात गंभीर हो सकते हैं।


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