सम्पादकीय

दो दृष्टिकोणों का संघर्ष

Gulabi
11 March 2022 6:21 AM GMT
दो दृष्टिकोणों का संघर्ष
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इंटरनेट के संचालन में निर्णायक अधिकार सरकारों के पास होना चाहिए
By NI Editorial
इंटरनेट कैसे चले, सवाल पर बहस छिड़े लगभग एक दशक हो गया है। अब तक पश्चिमी देश इस मामले में निजी क्षेत्र की निर्णायक भूमिका बनाए रखने में सफल रहे हैँ। लेकिन अब उन्हें एक बार फिर चुनौती मिल रही है। इससे अमेरिका और रूस के बीच एक और मोर्चा खुल गया है।
इंटरनेट के संचालन में निर्णायक अधिकार सरकारों के पास होना चाहिए, मुनाफे की भावना से चलने वाले निजी क्षेत्र के पास- इस सवाल पर बहस छिड़े लगभग एक दशक हो गया है। अब तक पश्चिमी देश इस मामले में निजी क्षेत्र की निर्णायक भूमिका बनाए रखने में सफल रहे हैँ। लेकिन अब उन्हें एक बार फिर चुनौती मिल रही है। इससे अमेरिका और रूस के बीच एक और मोर्चा खुल गया है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी- इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेन यूनियन (आटीयू) के प्रमुख पद पर अपने उम्मीदवार को बैठाने के लिए दोनों देशों ने मुहिम तेज कर दी है। हालांकि इस चुनाव के लिए मतदान अभी कई महीने दूर है, लेकिन लामबंदी अभी से शुरू हो गई है। कहा यह जा रहा है कि आईटीयू के प्रमुख पद के चुनाव ने कभी दुनिया का ध्यान उस तरह नहीं खींचा, जैसा इस बार हो रहा है। अमेरिका चेतावनी दे रहा है कि अगर रूसी उम्मीदवार जीत गया, तो उसका दुनिया के लिए वह एक बुरा संकेत होगा। अमेरिका का कहना है कि आज के दौर और इस दौर की भू-राजनीति के बीच यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि संचार नेटवर्क खुलेपन के साथ काम करें।'
इस मामले में यूक्रेन की घटनाओं का भी हवाला दिया जा रहा है। कहा जा है कि यूक्रेन में जो हो रहा है, अगर हम उसे देख पा रहे हैं, उसका एक कारण संचार का खुलापन भी है। अमेरिका ने आईटीयू के प्रमुख पद के लिए डोरीन बोगडम-मार्टिन को अपना उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला रूस के राशिद इस्माइलोव से है। अमेरिकी अधिकारी बॉडगम-मार्टिन के पक्ष में जोरदार प्रचार अभियान में जुटे हुए हैँ। वे यूरोप, एशिया और लैटिन अमेरिका के प्रतिनिधियों से भी लगातार मिल रहे हैं। स्पष्टतः आईटीयू की आज क्या भूमिका होनी चाहिए, इसको लेकर दुनिया में एक खास तरह का टकराव चल रहा है। गौरतलब है कि चीन और रूस की दलील रही है कि इंटरनेट स्टैंडर्ड और प्रोटोकॉल तय करने का अधिकार सरकारों के पास होना चाहिए। आईटीयू में आम तौर पर फैसले आम सहमति से होते हैँ। लेकिन इंटरनेट पर नियंत्रण एक महत्त्वपूर्ण सवाल है। इसके अलावा अब दुनिया में नई खेमेबंदी हो रही है। रूस और चीन एक धुरी पर इकट्ठे हो गए हैँ। ऐसे में आईटीयू पर नियंत्रण का बेहद अहम हो गया है।
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