- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- संसद में टकराव का...
संसद के वर्षाकालीन सत्र का आगाज जिस टकरावपूर्ण माहौल में हुआ है उससे आगे का रास्ता सरल दिखाई नहीं पड़ता है। वर्तमान सत्र में कुल 19 बैठकें होनी हैं जिनमें से एक बैठक आज समाप्त हो गई परन्तु संसदीय लोकतन्त्र का यह भी सुस्थापित सिद्धान्त होता है कि संसद को चलाने की मुख्य जिम्मेदारी सत्तारूढ़ दल की ही होती है अतः संसदीय कार्यमन्त्री की तरफ से ऐसे सुवारित प्रयास होने चाहिए जिनसे संसद का कारोबार बिना किसी बाधा के चले और विपक्ष जिन मुद्दों और विषयों को उठाना चाहता है उनका समाधान सरकार की तरफ से आये। संसदीय प्रणाली की एक सबसे बड़ी खूबी यह भी होती है कि इस पर पहला अधिकार विपक्ष का ही होता है क्योंकि विपक्ष के सांसद उन करोड़ों लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनकी सत्ता में भागीदारी छूट जाती है मगर सरकार बनाने में जिनका पूरा योगदान रहता है क्योंकि उनके वोट की ताकत से ही लोकसभा में बहुमत व अल्पमत का फैसला होता है। इसी वजह से लोकतन्त्र में बहुमत की बनी सरकार को सभी मतदाताओं की सरकार कहा जाता है।