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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सातवें चरण के मतदान होने के बाद आए विभिन्न टीवी चैनलों के एग्जिट पोल्स (Exit Polls) के मुताबिक भारी बहुमत से बीजेपी (BJP) की सरकार दोबारा बनती नजर आ रही है
यूसुफ़ अंसारी
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सातवें चरण के मतदान होने के बाद आए विभिन्न टीवी चैनलों के एग्जिट पोल्स (Exit Polls) के मुताबिक भारी बहुमत से बीजेपी (BJP) की सरकार दोबारा बनती नजर आ रही है. सिर्फ एक अखबार के और एक न्यूज़ पोर्टल ने अपने एग्जिट पोल के ज़रिए समाजवादी पार्टी की सरकार बनने का दावा किया है. असल में किसकी सरकार बनेगी, इसका पता तो 10 मार्च को होने वाली वोटों की गिनती के बाद ही चल पाएगा इस बीच एग्जिट पोल को लेकर सूबे की सियासत बेहद गर्म है.
आखिरी चरण के मतदान के बाद तमाम टीवी चैनलों पर दिखाए गए एग्जिट पोल के बाद समाजवादी पार्टी गठबंधन और बीजेपी गठबंधन के बीच तकरार बढ़ गई है. न सिर्फ़ तक़रार बढ़ी है बल्कि नेताओं के तेवर भी काफी तीखे हो गए हैं. जहां बीजेपी की तरफ से 300 से ज्यादा सीटें जीतकर दोबारा सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है वहीं समाजवादी पार्टी गठबंधन की तरफ से तमाम नेता एग्जिट पोल के झूठे साबित होने के दावे कर रहे हैं.
मंगलवार की शाम को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वाराणसी में ईवीएम चोरी करने का आरोप लगाया. अखिलेश ने योगी सरकार पर अधिकारियों के जरिए मतगणना को प्रभावित करने का आरोप लगाया साथ ही चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाएं. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ पत्रकारों और आम लोगों से लोकतंत्र को बचाने के लिए सबको सड़कों पर उतरकर क्रांति करने का आह्वान किया.
बीजेपी का पलटवार
अखिलेश के इस बयान पर बीजेपी के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, योगी सरकार के मंत्री मोहसिन रज़ा, सरकार के मंत्री अनुराग ठाकुर ने अखिलेश यादव के इस बयान पर आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे नतीजों से पहले ही हार की हताशा करार दिया. बुधवार को समाजवादी पार्टी के नेता अभिषेक मिश्रा ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उन्होंने भी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को अपने वोट की सुरक्षा करने के लिए सड़कों पर उतरने का आह्वान किया. उन्होंने तो योगी सरकार को अपने कार्यकर्ताओं पर गोली चलाने तक की चुनौती दे डाली.
आरोप-प्रत्यारोप की वजह से प्रदेश में सियासी माहौल काफी गर्मा गया है. जहां बीजेपी के नेता यह दावा कर रहे हैं कि अखिलेश यादव हार की आहट से बौखला गए हैं और अब हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रहे हैं वहीं समाजवादी पार्टी की तरफ से दावा किया जा रहा है कि बीजेपी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके मतगणना में गड़बड़ी फैलाने की बड़े पैमाने पर साजिश कर रही है. समाजवादी पार्टी की तरफ से चुनाव आयोग पर बीजेपी के साथ सांठगांठ का भी आरोप लग रहा है.
ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल
ईवीएम यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की सुरक्षा पर समाजवादी पार्टी के नेता अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गंभीर सवाल उठाए हैं. दरअसल वाराणसी में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने स्ट्रांग रूम के बाहर कुछ ईवीएम को बाहर ले जाते हुए पकड़ा इस पर काफी बवाल मचा. प्रशासन को देर रात तक मामला सुलझाना पड़ा. समाजवादी पार्टी का आरोप था कि यह ईवीएम वोटों की गिनती में गड़बड़ी के लिए ले जाए जा रहे थे. जबकि प्रशासन ने यह तर्क दिया है कि जनगणना में तैनात किए गए सरकारी कर्मचारियों की ट्रेनिंग के लिए यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन लेकर जाया जा रहा था. लेकिन बनारस के डीएम ने यह बात कुबूल की की कहीं ना कहीं प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है और इसकी जांच की जा रही है. वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार सांसद हैं उनके क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के साथ इस तरह की लापरवाही कई गंभीर सवाल खड़े करती है. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के हंगामे को देखते हुए रात में बड़े पैमाने पर पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी.
कहीं बैलेट पेपर मिले तो कहीं वीवीपैट की पर्चियां
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की सुरक्षा के साथ ही कई और मुद्दे भी हवा में तैर रहे हैं. बरेली में नगर निगम के कूड़े की ट्रॉली में बैलेट पेपर मिलने की खबर है, तो चंदौली में वीवीपैट की पर्चियां मिली हैं. इन पदों पर चंदौली की विधानसभा सीट के उम्मीदवारों के नाम और उनके चुनाव निशान मौजूद हैं. इन पर्चियों में समाजवादी पार्टी बीएसपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों और उनके चुनाव निशान मौजूद हैं. लेकिन बीजेपी की एक भी पर्ची नहीं है. दावा किया जा रहा है कि वीवीपैट की पर्ची बड़े पैमाने पर जलाई गई है. यह एक गंभीर मुद्दा माना जा रहा है, क्योंकि वीवीपैट की पर्चियां सीलबंद डिब्बे में तब तक रखी जाती हैं जब तक की मतगणना का काम पूरा नहीं हो जाए. मतगणना में गड़बड़ी होने पर वीवीपैट की पर्चियों की गिनती का प्रावधान है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर मतदान के बाद सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन सील बंद कर के स्ट्रांग रूम में रख दी गई हैं तो फिर यह कहां से आई हैं.
चुनाव आयोग पर उठे सवाल
समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. खुद सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव कई जिलों के जिलाधिकारियों को फोन करके मतगणना को प्रभावित करने का निर्देश दे रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की गई और चुनाव आयोग के कहने पर वह उन अधिकारियों के नाम बता देंगे जिन्हें फोन किया गया है. लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. कई राजनीतिक विश्लेषक और पर्यवेक्षक मानते हैं कि चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों पर सर्वे करने में इतनी तत्परता नहीं दिखाई, जितनी पिछले साल पश्चिम बंगाल में दिखाई थी. दरअसल देश में निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है, उस पर सवाल उठना उसकी साख़ पर बट्टा लगना है. बीजेपी को छोड़कर बाकी तमाम राजनीतिक दल यह मांग कर रहे हैं कि चुनाव आयोग को सामने आकर तमाम मामलों पर सफाई देनी चाहिए.
सपा कार्यकर्ताओं का हंगामा
अखिलेश यादव के आह्वान के बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों से खबर आई है कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने स्ट्रांग रूम के आसपास हंगामा किया है. अधिकारियों की गाड़ियां रोकी हैं. उनकी चेकिंग की है. ऐसी ही एक घटना में मुरादाबाद में चुनाव अधिकारी का घेराव करने की भी ख़बर है. आरोप है कि उनकी गाड़ी में बड़ी संख्या में बैलेट पेपर मिले हैं. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के इस तरह के हंगामे को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता. लोकतंत्र में इस तरह के हुड़दंग और सरकारी कामकाज में बाधा डालने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है. सपा कार्यकर्ताओं के हंगामे को देखते हुए बीजेपी की तरफ से यह कहा जा रहा है कि जो मुद्दे वो चुनाव में उठाते थे, समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता सरकार बनने से पहले ही उनकी कही बातों को सच साबित करके दिखा रहे हैं.
किसान नेताओं को भी प्रशासन पर शक
सिर्फ समाजवादी पार्टी गठबंधन ही नहीं, बल्कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों को भी शक है कि प्रशासन मतगणना के दौरान गड़बड़ी कर सकता है. शायद यही वजह है कि आखिरी चरण के मतदान के बाद किसान नेता नरेश टिकैत ने किसानों से आह्वान किया था कि मतगणना केंद्रों के आसपास सुरक्षा के कड़ी निगरानी रखें, क्योंकि प्रशासन मतगणना के दौरान बीजेपी को जिताने के लिए गड़बड़ी कर सकती है. कई किसान नेताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय लोक दल पार्टी के नेताओं की तरफ से भी यह कहा गया है कि उनके लोग मतगणना में गड़बड़ी को रोकने के लिए लठ्ठ लिए बैठे हैं. ऐसे बयानों से प्रदेश का सियासी माहौल और ज्यादा गर्मा रहा है
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में सातवें चरण के मतदान के बाद आए एग्जिट पोल के बाद एक अलग तरह का सियासी माहौल है. इस माहौल में गर्मी है. ख़ास बात यह है कि जहां बीजेपी एग्जिट पोल में मिलने वाली सीटों की संख्या से खुश नहीं है. वहीं समाजवादी पार्टी गठबंधन पूरी तरह एग्जिट पोल को खारिज कर रहा है. इसी तनातनी के बीच मतगणना होनी है. समाजवादी पार्टी के आक्रामक तेवर और किसान नेताओं की चेतावनी के बीच प्रशासन के सामने शांति पूर्वक मतगणना कराने के लिए बड़ी चुनौती है.
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