सम्पादकीय

कोरोना महामारी में भरोसे का टीका

Gulabi
2 March 2021 5:39 AM GMT
कोरोना महामारी में भरोसे का टीका
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टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण के पहले दिन प्रधानमंत्री के खुद टीका लगवाने से निस्संदेह इसे लेकर लोगों में बनी हिचक कुछ टूटेगी

टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण के पहले दिन प्रधानमंत्री के खुद टीका लगवाने से निस्संदेह इसे लेकर लोगों में बनी हिचक कुछ टूटेगी। कुछ राज्यों में कोरोना के मामले फिर से बढ़ने शुरू हो गए हैं, चिकित्सक लगातार जोर दे रहे हैं कि लोगों को टीकाकरण अभियान में आगे बढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए। इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और कोरोना का चक्र तोड़ने में काफी मदद मिलेगी। मगर अब भी बहुत सारे लोग इस टीकाकरण अभियान को शक की नजर से देखते आ रहे हैं।

दरअसल, जब टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था, तब कुछ विपक्षी राजनीतिक दलों ने इसके प्रभाव को लेकर शक जाहिर किया था। उनका कहना था कि इन दोनों टीकों का सिर्फ दो चरण का परीक्षण पूरा हुआ है, इनके तीसरे चरण के परीक्षण के लिए पूरे देश को दांव पर नहीं लगाना चाहिए। मगर टीका बनाने वाली कंपनियां और तमाम चिकित्सक भरोसा दिलाते रहे कि इन टीकों का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।
फिर भी बहुत सारे लोगों का इस पर भरोसा नहीं बन पा रहा था। पहले चरण में पंजीकृत बहुत सारे स्वास्थ्य कर्मियों ने भी टीका लगवाने को लेकर अपने पांव पीछे खींच लिए थे। कुछ राजनीतिक दलों ने सवाल भी उठाए थे कि अगर ये टीके इतने निरापद हैं तो क्यों नहीं प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री खुद टीका लगवाते। उसके बाद प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि दूसरे चरण में वे टीका लगवाएंगे। उनके साथ राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक भी टीका लगवाएंगे। इस क्रम में दूसरे चरण के पहले दिन बिहार और ओडीशा के मुख्यमंत्रियों ने भी टीके लगवा लिए।
ऐसे आपदा के वक्त जब किसी अभियान को लेकर लोगों का भरोसा नहीं बन पाता तो शीर्ष नेतृत्व के आगे आने से उनमें आत्मबल जागता ही है। प्रधानमंत्री पर बहुसंख्य लोगों को भरोसा रहता है, इसलिए उनके आगे आने से इस अभियान के गति पकड़ने की उम्मीद स्वाभाविक है। अब निजी अस्पतालों में भी टीके उपलब्ध कराने की घोषणा कर दी गई है।
कीमत भी तय कर दी गई है। ढाई सौ रुपए। इस तरह जो लोग सरकारी टीकाकरण केंद्रों में जाने से हिचकते रहे होंगे, वे भी इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। जो भी पैसे खर्च करके टीका लगवा सकते हैं, वे भीड़भाड़ से बचने के लिए निजी अस्पतालों की सेवाएं लेना बेहतर समझेंगे। पहले भी अनेक बीमारियों के वक्त जब टीके लगवाना अनिवार्य कर दिया गया था, चाहे वह हेपेटाइटिस हो या अन्य बीमारियां, तब बड़ी संख्या में लोगों ने पैसे खर्च कर टीके लगवाए थे। इसलिए इस अभियान में भी बड़ी संख्या में लोग जुड़ेंगे।

कोरोना टीकाकरण अभियान में गति लाना इसलिए बहुत जरूरी है कि इस महामारी पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है। इसका विषाणु अपने रूप बदल कर बार-बार आक्रामक हो उठ रहा है। भारत जैसे देश में, जहां आबादी अधिक है और भीड़भाड़ पर अंकुश लगाना खासा कठिन काम है, वहां लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपायों पर जोर दिया जाना बहुत जरूरी है।

इसलिए चिकित्सक जोर दे रहे हैं कि जितने अधिक लोगों को टीका लगाया जा सकेगा, उतना अधिक इस विषाणु के प्रभाव को रोकने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य जितना राज्यों का विषय है, उतना ही व्यक्तिगत जागरूकता और सावधानी का भी, इसलिए जब तक लोग खुद अपनी सेहत को लेकर सतर्क नहीं होंगे, कोई भी स्वास्थ्य योजना लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगी। प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के टीका लगवाने के बाद निश्चय ही इस अभियान को बल मिलेगा।


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