सम्पादकीय

आत्मविश्वास, लक्ष्य और खुशी इस बात से तय होती है कि आप खुद से कितना अच्छा संवाद करते हैं

Gulabi
20 Feb 2022 8:33 AM GMT
आत्मविश्वास, लक्ष्य और खुशी इस बात से तय होती है कि आप खुद से कितना अच्छा संवाद करते हैं
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ऐसी अनेक छोटी-बड़ी परम्पराएं हैं, जो हमारी भारतीय शादियों को अनोखा बनाती हैं
एन. रघुरामन का कॉलम:
ऐसी अनेक छोटी-बड़ी परम्पराएं हैं, जो हमारी भारतीय शादियों को अनोखा बनाती हैं। पंजाबी शादियां भी अपवाद नहीं हैं, जिनमें अच्छा खाना-संगीत कुछ और रंग भर देते हैं। मेरे जैसे गैरपंजाबी को लगता था कि उनकी शादियों में छोटी-छोटी दूसरी चीजें भी होती होंगी, लेकिन बहुत सारी ड्रिंक्स और खाने के बीच में ही! बहरहाल, मेरे दोस्तों ममता और कर्नल सुनील शर्मा के पुत्र आयुष की शादी स्मृति से हाल ही में अलवर, राजस्थान के एक आलीशान रिसोर्ट में हुई।
दो दिन की इस सेरेमनी में मुझे जीवन के लिए एक भिन्न सबक और एक सवाल का बहुत ही अच्छा जवाब भी मिला। अगर आप भी मेरी तरह सोचते रहे हैं कि ये लोग इतने लाउड क्यों होते हैं, तो उसका उत्तर ये रहा।समारोह-स्थल पर बिताए मेरे पहले 24 घंटों की शुरुआत सुबह मेहंदी रस्म से हुई, जिसके बाद सांस्कृतिक संध्या में दोनों परिवारों ने विभिन्न धुनों पर नाच-गाना किया।
जैसा मैंने कहा, पूरे दिन ड्रिंक्स बहती रही और खाना आता रहा, जो मानो मेहमानों से कह रहा था कि जिंदगी का खुलकर मजा लो। मेरी आंखें केवल दूल्हा-दुलहन और ममता-सुनील का पीछा कर रही थीं। जहां आयुष हर मेहमान को नाचने पर मजबूर कर रहे थे, वहीं ममता और सुनील शांत-संतुलित थे और वे बिना तनाव के हर रस्म में भागीदारी कर रहे थे, मैं ताज्जुब कर रहा था कि वे ऐसा कैसे कर पा रहे हैं।
जैसे ही शाम ढली, 150 खास मेहमान-जिनमें से अनेक आर्मी से थे- बड़े से लॉन में चले आए, जैसे वे पार्टनर्स के साथ रैम्प वॉक कर रहे हों। उनकी स्टाइल, साड़ियां, चमचमाती ज्वेलरी देखकर लग रहा था, जैसे अलवर के बादलों भरे आकाश से सितारे कुछ देर धरती पर उतर आए हों। और जब एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने अपने एक साथी के कानों में कहा, 'सेलिब्रेट करो यार, हम अभी जिंदा हैं,' तो मैं हिल गया। मैंने महसूस किया कि हम सिविलियंस अपनी जिंदगी को कितना हलके में लेते हैं।
अगले दिन चूड़ा चढ़ाना सेरेमनी के दौरान, दुलहन की बहनें और सहेलियां उसके नए चूड़ा सेट पर 'कलीरे' बांधने के लिए जमा हुईं। इसमें दुलहन को लाल व सफेद चूड़े पहनाए जाते हैं। इसके बाद दुलहन ने नीचे खड़ी अविवाहित लड़कियों के ऊपर जोरों से कलीरा हिलाया। जिस पर भी कलीरे गिरते हैं, उसके बारे में माना जाता है कि अगले साल उसकी शादी हो जाएगी। मैंने यह रस्म सोनम कपूर की शादी में भी देखी थी, जिसमें उन्होंने जाह्नवी कपूर के सिर पर कलीरे हिलाए थे।
इसी दौरान हम मेहमानों को छोटे-छोटे मोमेंटो दिए गए। इन्हीं में से एक था 'लड़केवाले' लिखा कोट-पिन, जिसे मैंने तुरंत कुर्ते पर लगा लिया। जब कर्नल सुनील हमें देखने आए तो मैंने मजाक में अपने पिन की ओर इशारा करते हुए कहा- 'हम तो लड़केवाले हैं, आप कौन हैं भाई साहब?' सुनील ने तुरंत जवाब दिया- 'मैं लड़के का बाप हूं।' उन्होंने 'बाप' शब्द पर जिस तरह जोर देते हुए ये कहा था, उसे सुना जाना चाहिए था। तब जाकर मैं समझा कि हममें से अनेक लोग दुनिया से संवाद की गुणवत्ता पर जोर देते हैं, क्योंकि हम सोचते हैं कि इसी से सफलता तय होती है।
असल में हमारा आत्मविश्वास, लक्ष्य और खुशी इससे तय होती है कि हम खुद से कैसे बात करते हैं। आपको इसे खुद से इतनी जोर से कहना होता है कि आपकी अंदरूनी चेतना भी उसे साफ सुन सके। ताज्जुब नहीं कि जब आर्मी के जवान दुश्मन को ललकारते हैं तो जोर से 'भारत माता की जय' कहते हैं, जिससे उन्हें अपने दुश्मन पर पूरे आत्मविश्वास से वार करने की ताकत मिलती है। फंडा यह है कि हमारे पंजाबी भाइयों की तरह आत्मविश्वास पैदा करने के लिए खुद से संवाद करने की गुणवत्ता सुधारना जरूरी है, फिर चाहे दुनिया कहती रहे कि- 'यह तो लाउड है!'
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