- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- शराब में तरी आत्मा का...
उस स्टेट में जनता को शराब से बचाने के लिए या माफिया को चोरी छिपे शराब सप्लाई करने के लिए शराब पर पूरी तरह से पांबदी लगाई गई थी। पर शराब थी कि पहले से अधिक जनता को मिल रही थी। सब पहले से अधिक खुलकर पीने में मस्त! यहां तक कि सुशासन बाबू की कैबिनेट मीटिंग में उनके अफसर तक नशे में झूलते हुए। सुशासन बाबू की स्टेट में पूरी तरह शराबबंदी होने के बाद भी स्वदेशी जहरीली शराब पीने से गरीबों के गांव में कइयों की मौत हो गई। उन्होंने गम बुलाने को पी या गम भुलाने को वही जानें। इधर उनकी मौत हुई तो उधर उनकी मौत को लेकर राजनीति शुरू। जो यमदूत इमरजेंसी में मरने वालों की सेवाओं के लिए यमराज ने स्टेट में तैनात रखे थे, इससे पहले कि उनकी मौत की खबर सुन वे उन्हें लेने आते, उनके शव राजनीतिज्ञों के हाथ लग गए। बस, फिर क्या था! राजनीतिज्ञों के हाथों गधों के शव भी लग जाएं तो वे भूचाल खड़ा कर रख देते हैं और ये तो ठहरे वोटरों के।