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- लाकडाउन में रियायत:...
भूपेंद्र सिंह | कई राज्यों में लाकडाउन शिथिल होने का सिलसिला कायम होना एक शुभ संकेत है, क्योंकि आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने से ही जीविका के साधनों को बल मिलेगा। चूंकि बीते 40-50 दिनों में लाकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था ठप सी रही है, इसलिए कोशिश इस बात की होनी चाहिए कि इस दौरान जो आर्थिक नुकसान हुआ, उसकी जल्द से जल्द भरपाई हो। बेहतर होगा कि राज्य सरकारें इस पर गौर करें कि लाकडाउन में छूट के साथ जो शर्तें लगाई गई हैं, वे आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को रफ्तार देने में बाधक न बनें। इसी के साथ आम जनता की भी यह जिम्मेदारी है कि वह सतर्कता का परिचय दे। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि कोरोना संक्रमण को काबू में रखना आम लोगों के बलबूते ही संभव है। सरकारें और उनका प्रशासन एक सीमा तक ही लोगों को सतर्क रहने के लिए प्रेरित कर सकता है। उसकी ओर से कोरोना संक्रमण से बचे रहने के उपायों को लेकर रोक-टोक करने, जुर्माना लगाने आदि की अपनी एक सीमा है। यदि लोग स्वेच्छा से इन उपायों का पालन नहीं करते तो हालात हाथ से फिर फिसल सकते हैं। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि संक्रमण की दूसरी लहर ने इसीलिए प्रचंड रूप धारण किया, क्योंकि लोगों ने ऐसे व्यवहार करना शुरू कर दिया था, जैसे कोरोना पर विजय पा ली गई हो। कम से कम अब तो वैसी भूल नहीं की जानी चाहिए।