सम्पादकीय

लाकडाउन में रियायत: आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने से जीविका के साधनों को मिलेगा बल, लोग रहें सतर्क

Triveni
7 Jun 2021 2:13 AM GMT
लाकडाउन में रियायत: आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने से जीविका के साधनों को मिलेगा बल, लोग रहें सतर्क
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कई राज्यों में लाकडाउन शिथिल होने का सिलसिला कायम होना एक शुभ संकेत है,

भूपेंद्र सिंह | कई राज्यों में लाकडाउन शिथिल होने का सिलसिला कायम होना एक शुभ संकेत है, क्योंकि आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने से ही जीविका के साधनों को बल मिलेगा। चूंकि बीते 40-50 दिनों में लाकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था ठप सी रही है, इसलिए कोशिश इस बात की होनी चाहिए कि इस दौरान जो आर्थिक नुकसान हुआ, उसकी जल्द से जल्द भरपाई हो। बेहतर होगा कि राज्य सरकारें इस पर गौर करें कि लाकडाउन में छूट के साथ जो शर्तें लगाई गई हैं, वे आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को रफ्तार देने में बाधक न बनें। इसी के साथ आम जनता की भी यह जिम्मेदारी है कि वह सतर्कता का परिचय दे। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि कोरोना संक्रमण को काबू में रखना आम लोगों के बलबूते ही संभव है। सरकारें और उनका प्रशासन एक सीमा तक ही लोगों को सतर्क रहने के लिए प्रेरित कर सकता है। उसकी ओर से कोरोना संक्रमण से बचे रहने के उपायों को लेकर रोक-टोक करने, जुर्माना लगाने आदि की अपनी एक सीमा है। यदि लोग स्वेच्छा से इन उपायों का पालन नहीं करते तो हालात हाथ से फिर फिसल सकते हैं। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि संक्रमण की दूसरी लहर ने इसीलिए प्रचंड रूप धारण किया, क्योंकि लोगों ने ऐसे व्यवहार करना शुरू कर दिया था, जैसे कोरोना पर विजय पा ली गई हो। कम से कम अब तो वैसी भूल नहीं की जानी चाहिए।

यह ठीक नहीं कि लाकडाउन में रियायत पर अमल के पहले ही सार्वजनिक स्थलों पर लोगों की लापरवाही देखने को मिलने लगी है। मास्क का सही तरह से इस्तेमाल न करने वालों की गिनती करना मुश्किल है। तमाम लोग ऐसे दिखते हैं, जो मास्क लगाए तो होते हैं, लेकिन ढंग से नहीं। कम से कम अब तो लोगों को यह बुनियादी बात समझ आ ही जानी चाहिए कि मास्क को नाक के नीचे रखने या ठुड्डी पर अटकाने का कोई मतलब नहीं है। इसी तरह यह भी स्वीकार्य नहीं कि सार्वजनिक स्थलों पर शारीरिक दूरी के पालन की अनदेखी हो। मास्क का सही इस्तेमाल और सार्वजनिक स्थलों पर शारीरिक दूरी का परिचय तो प्राथमिकता के आधार पर देना चाहिए। सच तो यह है कि इस मामले में हर कोई दूसरों के लिए उदाहरण बनना चाहिए। आम नागरिकों को चाहिए कि वे ऐसे लोगों को रोकें-टोकें जो मास्क सही तरह नहीं पहनते या फिर शारीरिक दूरी का पालन करने में कोताही बरतते हैं। वास्तव में यह हर किसी का राष्ट्रीय दायित्व बनना चाहिए। लोग अपने इस दायित्व के प्रति सतर्क हों, इसके लिए राज्यों को नए सिरे से दिशानिर्देश भी जारी करने चाहिए। इसी के साथ उन्हें टीकाकरण को गति भी देना चाहिए।


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