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सम्पादकीय
कश्मीरी हिंदुओं की घर वापसी के लिए ठोस प्रयास किए जाएं- मोहन भागवत
Gulabi Jagat
4 April 2022 11:48 AM GMT

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कश्मीरी हिंदुओं की घर वापसी के लिए ठोस प्रयास
कश्मीरी हिंदुओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने यह जो कहा कि उनकी वापसी इस तरह होनी चाहिए कि उन्हें फिर उजाड़ा न जा सके, उस पर सरकार ही नहीं, सभी दलों को भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। इसलिए देना चाहिए, क्योंकि कई विपक्षी दल बहुचर्चित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को न केवल खारिज कर रहे हैं, बल्कि उसे झूठी फिल्म भी बता रहे हैं। इसी तरह जहां कुछ नेता इस फिल्म को यूट्यूब पर अपलोड करने जैसे बेतुके बयान दे रहे हैं, वहीं कुछ यह दुष्प्रचार करने में जुटे हैं कि यह फिल्म नफरत फैला रही है।
कुछ यह भी समझाने में लगे हैं कि सेंसर बोर्ड को तो यह फिल्म पास ही नहीं करनी चाहिए थी। यह महज राजनीतिक शरारत ही नहीं, बल्कि कश्मीर से मार भगाए गए लाखों कश्मीरी हिंदुओं के जख्मों पर नमक छिड़कने की कोशिश भी है। इस घोर संवेदनहीनता के पीछे एक उद्देश्य वोट बैंक की राजनीति को साधना है। वास्तव में माहौल खराब करने की कोशिश तो ऐसे ही लोग कर रहे हैं। वे यह देखने से इन्कार कर रहे हैं कि कोई भी फिल्म तभी लोकप्रिय होती है, जब वह लोगों के दिलों को छूती है।
कश्मीरी हिंदुओं की हत्याओं और उनके भयावह उत्पीड़न की सच्ची घटनाओं पर आधारित कश्मीर फाइल्स सफलता के नए मानदंड स्थापित कर रही है तो इसीलिए कि उसने 32 साल बाद कश्मीर के दिल दहलाने वाले सच को सामने लाने का काम किया है। जो लोग भी कश्मीर फाइल्स को वैमनस्य फैलाने वाली बताने की कुचेष्टा कर रहे हैं, उन्हें एक तो यह जानना चाहिए कि यह फिल्म संयुक्त अरब अमीरात में भी रिलीज होने जा रही है और दूसरे इससे भी कि दुनिया भर में नरसंहारों या फिर समुदाय विशेष के उत्पीड़न पर दर्जनों फिल्में बन चुकी हैं।
यह देखना जितना दयनीय है, उतना ही लज्जाजनक भी कि जब कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को समझने के साथ ऐसा वातावरण बनाने में सहयोग देना चाहिए कि उनकी घाटी में वापसी हो सके, तब या तो सस्ती राजनीति की जा रही है या फिर परस्पर दोषारोपण किया जा रहा है। कोई इस फिल्म की विषयवस्तु से सहमत हो या न हो, लेकिन इस सच से मुंह नहीं मोड़ सकता कि कश्मीरी हिंदुओं पर भीषण अत्याचार हुए। यह समझा जाना चाहिए कि लाखों कश्मीरी हिंदुओं का घाटी से पलायन एक ऐसी त्रसदी है, जिसे भूला नहीं जा सकता।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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