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- चिंता टीकों की
टीकाकरण की धीमी रफ्तार गंभीर चिंता की बात है। महामारी पर काबू पाने के लिए जांच, इलाज और संपर्कों का पता लगाने से भी ज्यादा टीकाकरण को सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय माना गया। लेकिन इस काम में ही सबसे ज्यादा मुश्किलें आ रही हैं। समय से टीकों की आपूर्ति नहीं होने से कई राज्यों को अपने यहां टीकाकरण केंद्र बंद करने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री टीकों के लिए गुहार लगा रहे हैं। यह बिल्कुल वैसी स्थिति बन गई है जैसे पिछले दिनों ऑक्सीजन संकट के दौरान देखने को मिली थी। गौरतलब है कि महामारी जिस प्रकृति की है, उसे देखते हुए जल्द से जल्द सबको टीके चाहिए। हालांकि केंद्र सरकार के दावों में कहीं कोई कमी नहीं है। सरकार लगातार कह रही है कि टीके पर्याप्त हैं, राज्यों को पर्याप्त आपूर्ति हो रही है और इसी साल के अंत तक देश की बड़ी आबादी का टीकाकरण कर दिया जाएगा। अगर ऐसा है तो फिर क्यों राज्यों को टीकाकरण केंद्र बंद करने पड़ रहे हैं? अगर राज्यों के पास टीका ही नहीं होगा और सिर्फ दो-तीन दिन के भंडार पर यह अभियान चलेगा तो कैसे टीकाकरण का लक्ष्य पूरा होगा, यह समझ से परे है।