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- भारतीयता की अवधारणा:...
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की ताजा टिप्पणी अटल बिहारी वाजपेयी की सोच का ही विस्तार है। बयालीस वर्ष पहले वाजपेयी ने अंग्रेजी के एक राष्ट्रीय दैनिक में लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को सलाह दी थी कि उसे हिंदुत्व छोड़कर भारतीयता की अवधारणा पर काम करना चाहिए। भारतीयता एक ऐसा छाता है, जिसके तले प्रत्येक नागरिक का भविष्य सुरक्षित है। उन्होंने साफ कहा था कि भारतीय लोकतंत्र में नागरिकों को किसी धर्म, समाज, जाति या समूह में बांट कर नहीं देखा जा सकता। यहां सबके हित के प्रयास में ही भारत के विकास की कुंजी है। संयोग से इसके चंद रोज बाद मुझे संघ के तब के मुखिया बाला साहेब देवरस से बात करने का अवसर मिला। बाला साहेब देवरस तब तक वाजपेयी जी का वह आलेख पढ़ चुके थे। उन्होंने मुक्त कंठ से उस आलेख की तारीफ की और कहा कि बदलते हिंदुस्तान में संघ को भी स्वयं को बदलना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो राष्ट्र के समग्र सामाजिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सोच की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाएगा। इसलिए संघ अपने भीतर इस मकसद से सकारात्मक परिवर्तन करेगा।