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- मुआवजे का मरहम
कोरोना की वजह से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देने का सर्वोच्च न्यायालय का आदेश लाखों लोगों के लिए मरहम की तरह आया है। हालांकि न्यायालय ने मुआवजे की रकम तय करने से इनकार कर दिया है, पर इस आदेश से ऐसे वक्त में सरकार का मानवीय उत्तरदायित्व जरूर तय हो गया है। जब इस मामले में याचिका दायर करके कोरोना से मरने वालों के परिजनों को चार लाख रुपए देने की मांग की गई थी, तो अदालत ने सरकार से इस पर उसका रुख जानना चाहा था। तब केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर साफ कह दिया था कि प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में जिन बारह विषयों को शामिल किया गया है, उनमें बाढ़, भूकंप जैसी स्थितियां तो आती हैं, पर कोरोना जैसी महामारी नहीं आती। सरकार मरने वालों को मुआवजा देने में अक्षम है, इस तरह उस पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। मगर सर्वोच्च न्यायालय ने इसे सरकार का उत्तरदायित्व मानते हुए मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह सरकार को तय करना है कि मुआवजे की राशि कितनी होगी। इसके लिए छह हफ्ते के भीतर दिशा-निर्देश जारी करने होंगे।