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- चीन और पाकिस्तान की...
ब्रजबिहारी। यह दिनोंदिन स्पष्ट होता जा रहा है कि देश की कम्युनिस्ट पार्टयिों को अपने राजनीतिक भविष्य की कोई चिंता नहीं है। इसलिए एक-एक कर दो राज्य उनके हाथ से फिसल गए। इसके बावजूद उनके पास आने वाले दिनों का कोई खाका नहीं है। अगर ऐसा होता तो इन पार्टयिों के शीर्ष प्रतिनिधि हाल में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के 100वें स्थापना दिवस पर नई दिल्ली में चीनी दूतावास के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए होते। जिस देश के साथ सीमा पर तनाव चल रहा है और जो हमारी जमीन से पीछे हटने को तैयार नहीं है, उसके देश की पार्टी के कार्यक्रम में जाने से उसे भारत में राजनीतिक रूप से क्या लाभ मिला, यह कोई कामरेड आपको नहीं बता पाएगा। इस बारे में सवाल किए जाने पर वही अहंकार भरा जवाब, आप हमें क्या बताएंगे। हमने तो 35 साल बंगाल में और 25 साल त्रिपुरा में शासन किया है। लगातार दूसरी बार केरल में सत्ता में आए हैं। कहना न होगा कि जो पार्टी भविष्य के बजाय भूत में जीने लगे, उसका तो पतन निश्चित है।