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- कालेज दाखिलों के लिए...
आदित्य नारायण चोपड़ा: देश की सैंट्रल यूनिवर्सिटीज में ग्रेजुएशन में दाखिले के लिए अब 12वीं की परीक्षा में हासिल नम्बरों की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। कालेजों की कट आफ लिस्ट भी अब अर्थहीन रह जाएगी। कालेजों की कट आफ लिस्ट के कारण छात्रों को अपने मनपसंद के कालेज नहीं मिलते और न ही मनपसंद पाठ्यक्रम मिलते थे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अब सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के लिए एक परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित कर रहा है। कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेस यानी सीयूईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर यूनिवर्सिटीज में दाखिला मिलेगा। सबके लिए एक ही परीक्षा आयोजित की जाएगी। पहले 12वीं में हासिल अंकों के आधार पर दाखिला देने की पद्धति के कारण राज्य शिक्षा बोर्डों और ग्रामीण छात्रों को देश के प्रतिष्ठित कालेजों में दाखिला मिलने में दिक्कत होती थी। इस तरह की परीक्षा कोई नई बात नहीं है, बल्कि आईआईटी अपने यहां दाखिले के लिए जेईई परीक्षा पहले से ही ले रहा है।कामन एंट्रेस टेस्ट से सभी छात्रों को एक समान मौका मिलेगा, चाहे छात्रों ने किसी भी बोर्ड से परीक्षा क्यों न दी हो, चाहे वह सुदूर गांव या उत्तर पूर्व में क्यों न हो, उन्हें समान मौका मिलेगा। यह परीक्षा उन माता-पिता के आर्थिक बोझ को भी कम करेगा जो अपने बच्चों के लिए कई परीक्षाओं की फीस का भार नहीं उठा सकते। स्टेट यूनिवर्सिटीज हो, निजी यूनिवर्सिटीज हो या डीम्ड यूनिवर्सिटीज हो सीईयूटी के अंकों को आधार बनाकर अपने संस्थान में छात्रों को दाखिला दे सकते हैं। सीईयूटी को एनसीईआरटी सि बस के आधार पर आयोजित किया जाएगा। इससे सभी छात्र एक ही तरह से तैयारी कर सकते हैं।इस परीक्षा के चलते आरक्षण नीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर कोई विश्वविद्यालय स्थानीय छात्रों के लिए सीटों का एक निश्चित प्रतिशत सुरक्षित रखता है तो वह भी प्रभावित नहीं होगा। इसमें अंतर केवल इतना होगा कि अन्य सभी छात्रों की तरह स्थानीय छात्र या आरक्षित वर्ग के छात्र भी सामान्य प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही आएंगे। सीयूईटी परीक्षा लेकर कालेजों के प्रधानाचार्यों और शिक्षाविदों की मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली है। शिक्षाविदों का मानना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कालेजों में कट ऑफ लिस्ट की पद्धति बहुत पुरानी हो गई है। कभी वह दाैर था कि कट ऑफ लिस्ट 100 प्रतिशत तक छू जाना आसान नहीं था। अब यह कट ऑफ लिस्ट 100 प्रतिशत को आसानी से छू जाती है। इस लिहाज से 95 फीसदी से 99 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले छात्र भी 100 प्रतिशत कट ऑफ लिस्ट के कारण दाखिला नहीं ले पाते थे। इस तरह हम दाखिले के लिए समान अवसर उपलब्ध नहीं कराते।संपादकीय :125 वर्षीय पद्मश्री विजेता शिवानंद जी से सीखिए सफल जीवन का मंत्रमहंगाई का बदलता स्वरूपहिजाब पर जेहादी मानसिकताशरद यादव की पार्टी का 'विलय'पाकिस्तान में उथल-पुथलद कश्मीर फाइल्स : कड़वी सच्चाईपिछले कुछ वर्षों से 12वीं की परीक्षा में एक नई प्रवृत्ति देखने को ,मिली। अब छात्राें को 100 में से 100 अंक दे दिए जाते हैं। इससे कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए दाखिलों में प्रतिस्पर्धा के लिए कोई जगह ही नहीं बचती थी। कुछ शिक्षाविद कालेज में दाखिलों के लिए कॉमन यूनिवर्सिटीज एंटरैंस टैस्ट कराने की आलोचना भी कर रहे हैं। कुछ का कहना है कि अगर यूनिवर्सिटीज बोर्ड की परीक्षाओं में प्राप्त अंकों को प्राथमिकता नहीं देंगी तो फिर बच्चों में ट्यूशन और कोचिंग सैंटर जाने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। बोर्ड परीक्षा में लिए गए अंक महत्वहीन हो जाएंगे। स्कूल तो केवल पढ़ाने का केन्द्र रह जाएंगे। इसलिए स्कूलों का महत्व या भूमिका को कम नहीं किया जाना चाहिए। कहीं न कहीं बोर्ड परीक्षाओं में प्राप्त अंकों को भी पात्रता के मापदंड ऐसे समावेशी होने चाहिए कि देशभर में बड़ी संख्या में छात्रों को निमंत्रण मिले और उम्मीदवार ने किसी भी बोर्ड से बारहवीं कक्षा की परीक्षा या समतुल्य परीक्षा पास की हो। सीयूईटी परीक्षा दो शिफ्ट में आयोजित की जाएगी। पहली शिफ्ट में अनिवार्य लैंग्वेज टैस्ट, दो दिए गए विषय और सामान्य परीक्षा होगी और दूसरी शिफ्ट में चार विषय होंगे और एक भाषा की परीक्षा होगी। यह भाषा 19 भाषाओं में से एक होगी। जिसे विद्यार्थी खुद चुनेंगे। परीक्षा भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें निरंतर सुधारों की जरूरत पड़ती है। सुधारों के लिए समय-समय पर पहलकदमी भी होती है लेकिन अभी भी कई विडम्बनाएं हमारा पीछा नहीं छोड़ रहीं। कोरोना महामारी के दौरान शिक्षा व्यवस्था भी पूरी तरह से प्रभावित हुई। एक ताजा रिपोर्ट के दौरान देश में 2020-21 के दौरान पूर्व प्राथमिक कक्षाओं यानी नर्सरी और केजी श्रेणी में समूचे देश के स्कूलों में पहले के मुकाबले दाखिलों की संख्या में 29 लाख से ज्यादा की गिरावट आई है। शिक्षा के मामले में अभी बहुत कुछ करना बाकी है। देखना होगा नए सुधार परीक्षा के ढांचे को कितना मजबूत बनाते हैं।