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- सांस्कृतिक समारोह शुरू...
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अंतराष्ट्रीय समर फेस्टीवल और धर्मशाला में आठ दिवसीय कांगड़ा घाटी ग्रीष्मोत्सव का आगाज सराहनीय पहल है। शिमला समर फेस्टिवल में हिमाचल प्रदेश के कलाकार नाटियां डालकर लोगों का खूब मनोरंजन कर रहे हैं। वहीं अन्य राज्यों से आए कलाकार अपनी नायाब प्रस्तुतियों से जनता का मन मोह रहे हैं। स्मरण हो दस सालों के बाद कांगड़ा घाटी उत्सव धर्मशाला के विधायक विशाल नैहरिया की मांग पर आयोजित किया जा रहा है। इससे पूर्व कई जगहों में इसे मनाया जाता था। दो जून को समर फेस्टीवल का आगाज धर्मशाला पुलिस मैदान में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करके गए हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम की बेला पर सरकार के कई मंत्री शिरकत कर चुके हैं। पुलिस मैदान में सरकारी विभागों की प्रदर्शनियां लगाई गईं, जिससे जनता को सरकारी योजनाओं के बारे में जागृत किया जा सके। यही नहीं, समर फेस्टिवल आयोजित किए जाने के पीछे सरकार की यही मंशा है कि गर्मियों में हिमाचल प्रदेश घूमने आने वाले पर्यटकों का मनोरंजन सहित उन्हें यहां की सभ्यता, संस्कृति से भी अवगत करवाया जा सके। इस फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य स्थानीय कलाकारों को मंच देकर उनकी कला में और अधिक निखार लाना है। ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सभी कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलना बहुत बड़ी बात है। समर उत्सव के नाम पर पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने सहित जनता के मनोरंजन की व्यवस्था किया जाना काबिले तारीफ है। कोरोना वायरस काल के दौरान आम जनमानस की जिंदगी मानो बेडि़यों में जकड़कर रह गई थी। लगातार दो वर्ष तक मुंह पर मास्क, हाथों में ग्लब्ज पहने सदैव सामाजिक दूरी बनाए रखना किसी सजा से कम नहीं रहा है। महामारी के दौर में सरकारी, गैर सरकारी और निजी क्षेत्रों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों व जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। आम आदमी घर की चार दिवारी के अंदर जेल जैसी जिंदगी जीने को मजबूर होकर रह गया था। दुखद पहलू यह भी रहा कि इस महामारी के चलते करीब सात सौ लोगों ने आत्महत्याएं की।
By: divyahimachal