सम्पादकीय

सांस्कृतिक समारोह शुरू होना सराहनीय

Rani Sahu
8 Jun 2022 7:09 PM GMT
सांस्कृतिक समारोह शुरू होना सराहनीय
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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अंतराष्ट्रीय समर फेस्टीवल और धर्मशाला में आठ दिवसीय कांगड़ा घाटी ग्रीष्मोत्सव का आगाज सराहनीय पहल है

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अंतराष्ट्रीय समर फेस्टीवल और धर्मशाला में आठ दिवसीय कांगड़ा घाटी ग्रीष्मोत्सव का आगाज सराहनीय पहल है। शिमला समर फेस्टिवल में हिमाचल प्रदेश के कलाकार नाटियां डालकर लोगों का खूब मनोरंजन कर रहे हैं। वहीं अन्य राज्यों से आए कलाकार अपनी नायाब प्रस्तुतियों से जनता का मन मोह रहे हैं। स्मरण हो दस सालों के बाद कांगड़ा घाटी उत्सव धर्मशाला के विधायक विशाल नैहरिया की मांग पर आयोजित किया जा रहा है। इससे पूर्व कई जगहों में इसे मनाया जाता था। दो जून को समर फेस्टीवल का आगाज धर्मशाला पुलिस मैदान में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करके गए हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम की बेला पर सरकार के कई मंत्री शिरकत कर चुके हैं। पुलिस मैदान में सरकारी विभागों की प्रदर्शनियां लगाई गईं, जिससे जनता को सरकारी योजनाओं के बारे में जागृत किया जा सके। यही नहीं, समर फेस्टिवल आयोजित किए जाने के पीछे सरकार की यही मंशा है कि गर्मियों में हिमाचल प्रदेश घूमने आने वाले पर्यटकों का मनोरंजन सहित उन्हें यहां की सभ्यता, संस्कृति से भी अवगत करवाया जा सके। इस फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य स्थानीय कलाकारों को मंच देकर उनकी कला में और अधिक निखार लाना है। ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सभी कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलना बहुत बड़ी बात है। समर उत्सव के नाम पर पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने सहित जनता के मनोरंजन की व्यवस्था किया जाना काबिले तारीफ है। कोरोना वायरस काल के दौरान आम जनमानस की जिंदगी मानो बेडि़यों में जकड़कर रह गई थी। लगातार दो वर्ष तक मुंह पर मास्क, हाथों में ग्लब्ज पहने सदैव सामाजिक दूरी बनाए रखना किसी सजा से कम नहीं रहा है। महामारी के दौर में सरकारी, गैर सरकारी और निजी क्षेत्रों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों व जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। आम आदमी घर की चार दिवारी के अंदर जेल जैसी जिंदगी जीने को मजबूर होकर रह गया था। दुखद पहलू यह भी रहा कि इस महामारी के चलते करीब सात सौ लोगों ने आत्महत्याएं की।

बेरोजगारी और मानसिक तनाव के चलते लोगों ने इस तरह के कदम उठाने से गुरेज तक नहीं किया। समर फेस्टिवल में दिन को प्रदर्शनियां लगाई जा रही हैं और रात को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करके जनता का खूब मनोरंजन किया जा रहा है। जिला कांगड़ा प्रशासन इससे पूर्व कोरोना वायरस काल के दौरान अपनी बेहतरीन सेवाएं देने वालों को एक सफल कार्यक्रम आयोजित करके सम्मानित कर चुका है। सरस मेला भी जिला कांगड़ा में हो चुका है। जिला प्रशासन की इस पहल का प्रदेश की जनता को स्वागत करना चाहिए। बदलते सामाजिक परिवेश के चलते आज जनमानस अपने घर की चार दिवारी में रहने को मजबूर हो चला है। स्मार्ट मोबाइल फोन की वजह से लोगों ने ऐसे कार्यक्रमों से दूरी बनाना शुरू कर रखी है। एक समय ऐसा था कि लोग घरों में होने वाले जागरण, रामलीलाओं का सफल मंचन देखने के लिए जाते थे। समर उत्सव का क्रियान्वयन देखकर ऐसा लगता है कि यह किसी विदेश में आयोजित किया जा रहा है। दुबई जैसे नामी देशों में ऐसे उत्सवों का गर्मियों के मौसम में आयोजन किया जाता है। विश्व स्तर के लोग इस उत्सव में अपनी प्रदर्शनियां लगाकर जनता का खूब मनोरंजन करते हैं। हिमाचल प्रदेश में इसी तरह समर उत्सव का आयोजन किया जाना जनहित में है। भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल तनाव मुक्ति से बिताने के लिए लोग अक्सर ऐसे उत्सवों की ओर अपना रुख करते हैं। प्रदेश सरकार को समर उत्सव का आयोजन प्रत्येक वर्ष करके इसकी रूप रेखा और अधिक बढ़ाने की जरूरत है। जिला स्तर पर जनता को इस फेस्टिवल के कूपन बेचे जाएं। समर फेस्टिवल की बेला पर कई लक्की ड्रा के नाम से निकाले जाएं। यही नहीं, उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को और अधिक बढ़ावा देकर देश-विदेशों के नामी कलाकार भी बुलाए जाएं। इस तरह के उत्सव आयोजित किए जाने पर हम हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने में सफल हो सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश, जो देवभूमि के नाम से विख्यात है, आखिर कितने पर्यटक देवभूमि की संस्कृति से अवगत होकर जाते हैं? हिमाचल प्रदेश की सरकारें पर्यटन को बढ़ावा देकर इसे अपने राजस्व का साधन बनाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। सच बात यह है कि हमारी सड़कों की बदहाल हालत, अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा न होना अक्सर पर्यटन को विकसित किए जाने में बहुत बड़ी बाधाएं हैं। प्रदेश में कनेक्टिविटी की समस्या के चलते हम सब कुछ अपने पास होते हुए भी कर्जदार बनकर रह गए हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हिमाचल प्रदेश में ऐसा क्या नहीं है जिससे पर्यटकों को लुभाया नहीं जा सके। आज प्रदेश की सबसे बड़ी जरूरत सड़कों की दशा सुधारने, रेल विस्तार और एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होना अहम है। प्रदेश के लोगों को विदेशों में जाने के लिए पड़ोसी राज्यों के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की खाक छाननी पड़ती है। अगर ऐसा ही हवाई अड्डा हिमाचल प्रदेश में शुरू हो जाए तो जनता सहित पर्यटकों को इसका लाभ मिलेगा। आज हालात इस कदर नाजुक बन चुके हैं कि सरकार के ऊपर करोड़ों रुपयों के कर्ज की देनदारी है। रेगिस्तान में बसे देश आज व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध माने जा चुके हैं। प्रदेश के पास अपार प्राकृतिक सौंदर्य और वन संपदा होने के बावजूद हम लोग आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हो पाए हैं। देवताओं की भूमि में प्रत्येक जगह मंदिर हैं। ऐसे धर्म स्थलों के प्रति श्रद्धालुओं की विशेष आस्था है। पहाड़, झरने, नदियां, सुरंगें, पुल, मंदिर, जंगल, बांध, नेरोगेज रेलवे लाइन सहित स्वच्छ पर्यावरण भी प्रदेश की धरोहर है। मगर इसके बावजूद सरकारें प्रदेश को पर्यटन की दृष्टि से विकसित क्यों नहीं बना पा रही हैं, यह चर्चा का विषय है। बहरहाल सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए लोगों को प्रदेश के पर्यटन से जोड़ा जा सकता है।
सुखदेव सिंह
लेखक नूरपुर से हैं

By: divyahimachal


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