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- चीनी हठ से मुकाबला
भारत और चीन के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता से उम्मीद तो थी, लेकिन जो नतीजा निकला है, उस पर किसी को आश्चर्य नहीं होगा। चीनी सेना अर्थात पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) भारतीय सेना द्वारा दिए गए सुझावों से सहमत नहीं थी। चीन जबरन कब्जाए गए मोर्चों से पीछे हटने को तैयार नहीं है। अफसोस की बात है, भारत ने बैठक के दौरान जो सुझाव दिए, उन पर चीन ने ज्यादा गौर नहीं किया और न ही अपनी ओर से कोई प्रस्ताव रखा। जाहिर है, विवाद के बिंदुओं पर वार्ता बिल्कुल आगे नहीं बढ़ी है। साथ ही, ऐसा लगता है कि चीन यथोचित समाधान के प्रति सजग नहीं है, इसलिए उसने आक्रामक रवैया बनाए रखा है। उसने भारत के प्रस्ताव या मांगों को अनुचित और अवास्तविक करार दिया है। मतलब, चीन को हर हाल में समाधान अपने हित के अनुरूप चाहिए। वह सीमा पर निर्जन क्षेत्रों में आगे बढ़ आया है और अब पीछे हटना नहीं चाहता। उसकी आक्रामकता उसकी कमजोरी और गलत हरकत की ढाल है। क्या भारत इस ढाल को तोड़ पाएगा? क्या हम अगली वार्ता से कोई उम्मीद रखें?