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अरविंद मिश्रा: कुछ दिनों पहले योगगुरु बाबा रामदेव की ओर से एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर दिए गए बयान के बाद जारी आरोप-प्रत्यारोप का दौर फिलहाल शांत होता नहीं दिख रहा है। बाबा रामदेव ने उपचार की एलोपैथी पद्धति को विशेष रूप से कोरोना के संदर्भ में बेअसर करार दिया था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) और फिर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस पर कड़ा एतराज जताया। आखिरकार बाबा रामदेव ने अपने शब्द वापस लिए। इसमें कोई दो मत नहीं कि योग और आयुर्वेद की पुनस्र्थापना में बाबा रामदेव की अग्रणी भूमिका है। बावजूद इसके बिना किसी वैज्ञानिक आधार के जिस प्रकार उन्होंने एक चिकित्सा पद्धति को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया, वह न्यायसंगत नहीं था। हालांकि बाबा रामदेव ने इस विषय पर खेद प्रकट कर अपनी उदारता का परिचय दिया, लेकिन अब भी दोनों पक्षों के बीच जारी गैर जरूरी उकसावे में वे मुद्दे पीछे छूट रहे हैं, जिनके समाधान से मानवीय स्वास्थ्य को गुणवत्ता देने का साझा मार्ग खोजा जा सकता है।