सम्पादकीय

शीत का प्रकोप

Rani Sahu
17 Jan 2022 6:17 PM GMT
शीत का प्रकोप
x

उत्तर भारत के एक बडे़ इलाके में शीतलहर की स्थिति है। श्रीनगर में तापमान माइनस पांच डिग्री पर चल रहा है, तो शिमला में बर्फबारी की स्थिति है। पंजाब और हरियाणा के साथ दिल्ली भी कोहरे की चादर ओढ़े ठिठुर रही है। लखनऊ में तापमान छह डिग्री सेल्सियस के आसपास महसूस हो रहा है, तो पटना और रांची में भी न्यूनतम तामपान दस डिग्री के नीचे ही है। पिछले चार दिनों से ठंड में इजाफा हुआ है और कई इलाकों में तो सूर्य दर्शन दुर्लभ है और जिन जगहों पर सूर्य दिखा भी है, वहां हवा चल रही है, बादलों की भी आवाजाही है। कुल मिलाकर, ठंड ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर रखा है। मौसम का मिजाज आसानी से समझ में नहीं आ रहा है। मौसम विज्ञान विभाग ने जो भविष्यवाणी की है, वह भी बहुत स्पष्ट नहीं है। यह कह देना ही पर्याप्त नहीं कि आने वाले कुछ दिनों में ठंड से राहत मिलेगी। यह भी अनुमान है कि आगामी दो दिन तक ठंड का प्रकोप जारी रहेगा। आगे बीच-बीच में कुछ राहत का अनुमान है, लेकिन कुल मिलाकर ठंड से लोग सप्ताह या दस दिनों तक अपने घरों में दुबके रहने को मजबूर रहेंगे।

पहले यह माना जाता था कि सूर्य के उत्तरायण होने पर सर्दियों के दिन लदने लगते हैं, लेकिन यहां मकर संक्रांति के बाद भी ठंड कम होने के बजाय बढ़ती हुई महसूस हो रही है। आम तौर पर ऐसी शीत लहर की स्थिति दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में बनती है, लेकिन आधी जनवरी बीतने के बाद भी शीत लहर का आलम चिंता बढ़ा रहा है। कुछ दिनों से बादल छाए हुए थे और अनुमान था कि सोमवार से धूप कुछ खिलेगी, लेकिन सोमवार को उत्तर भारत में सुबह की शुरुआत हाड़ कंपा देने वाली ठंड से हुई। यह कोरोना की तीसरी लहर का भी समय है, शीत लहर से सर्दी-जुकाम-खांसी को और बल मिलेगा। मौसमी बीमारियों का प्रकोप प्रबल होगा, जिससे कोरोना की चिंता और बढ़ जाएगी। अत: यह बहुत जरूरी है कि लोग ठंड की मार से बचें और कम से कम मौसमी बीमारियों का आतंक नियंत्रण में रहे। यह डॉक्टरों व अस्पतालों के लिए चिंता का समय है। संभव है कि पश्चिमी विक्षोभ और बादलों की मौजूदगी घटने से राहत की स्थिति बने।
ऐसे समय में हम क्या कर सकते हैं, यह हमें सोचना चाहिए। शीत लहर वाले प्रदेशों के स्थानीय प्रशासन को विशेष रूप से सचेत रहना होगा। जगह-जगह अलाव की व्यवस्था, रैन बसेरों की सुविधा को चाक चौबंद करना होगा। गांवों और शहरों में गरीब या बेघर लोगों पर निगाह रखने का समय है। जहां स्थानीय प्रशासन सजग है, वहां गरीब-बेघर लोगों को अब तीन वक्त भोजन दिया जा रहा है। ध्यान रहे, ठंड तभी जानलेवा बनती है, जब कोई भोजन से वंचित होने लगता है। स्थानीय निकाय, स्थानीय प्रतिनिधि, पंचायतों को पूरी तरह से सजग रहना चाहिए कि शीत लहर में किसी की जान न जाए। यह यथोचित शारीरिक दूरी रखते हुए सामाजिकता निभाने का समय है। दूसरी ओर, संभव है कि यह जलवायु परिवर्तन का असर हो। लेकिन ज्यादा चिंता प्रदूषण को लेकर है। हमारे महानगरों में हवा की गुणवत्ता अभी भी बहुत खराब है। सोमवार को भी राजधानी में वायु की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में दर्ज हुई है। वायु प्रदूषण कम करने पर अगर हम ईमानदारी से ध्यान दें, तो संभव है, सूर्य से बेहतर सहारा मिले।

हिन्दुस्तान

Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story