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दुनिया में बड़ी ताकतों के बीच कई मोर्चों पर होड़ देखने को मिल रही
By NI एडिटोरियल ,.
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद दुनिया में बड़ी ताकतों के बीच कई मोर्चों पर होड़ देखने को मिल रही है। लेकिन बात सिर्फ धरती तक सीमित नहीं है। बल्कि यह अंतरिक्ष तक पहुंची दिखती है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) को लेकर भी एक नई होड़ दिख रही है। फरवरी 2022 की शुरुआत में रूस की स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस पर अंतरिक्ष में अमेरिका और यूरोप ने प्रतिबंध लगा दिए। इसके बाद रोसकोसमोस के अधिकारियों ने कहा कि यूरोप, एशिया, और अमेरिका अंतरिक्ष में रूस के सहयोग के बिना नहीं टिक सकते। उन्होंने कहा- अगर आप हमारी सहायता करना बंद कर देते हैं, तो आईएसएस को अनियंत्रित होने और उसे अमेरिका या यूरोप में गिरने से कौन बचाएगा? आईएसएस भारत या चीन में भी गिर सकता है। क्या आप इन संभावनाओं के आधार पर उन्हें डराना चाहते हैं? अब बीते हफ्ते रूसी स्पेस एजेंसी के नए निदेशक यूरी बोरिसोव ने इन चेतावनियों को दोहराया। साथ ही उन्होंने पुष्टि की कि रूस वास्तव में 2024 के बाद आईएसएस के साथ अपना सहयोग समाप्त कर देगा। उन्होंने कहा- उस समय तक हम रूसी ऑर्बिटिंग स्टेशन बनाना शुरू कर देंगे।
उधर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अमेरिकी सरकार से वादा किया है कि 2030 तक आईएसएस काम करता रहेगा। नासा ने बीते जनवरी में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें रूस को अभी भी आईएसएस के प्रमुख भागीदार के तौर पर बताया गया था। लेकिन तब तक रूस ने यूक्रेन पर हमला नहीं किया था। अमेरिका की योजना है कि 2030 के बाद उन अंतरिक्ष कार्यक्रमों को निजी क्षेत्र के प्लेटफॉर्म पर संचालित किया जाएगा, जिन्हें आज आईएसएस की मदद से किया जाता है। नासा ने कहा है कि एक या उससे ज्यादा व्यावसायिक स्वामित्व और संचालन वाले स्पेस स्टेशन आईएसएस की जगह ले सकते हैं। ऐसा होने के बाद 2031 में आईएसएस को नियंत्रित तरीके से पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा और प्रशांत महासागर के एक निर्जन इलाके में उतारा जाएगा। लेकिन यह बात तय है कि धरती से लेकर अंतरिक्ष तक अंतरराष्ट्रीय सहयोग अब एक दुर्लभ बात होती जा रही है। यह कोई अच्छी खबर नहीं है। यह एक तरह से पुराने शीत युद्ध की वापसी है।
Gulabi Jagat
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