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- गठबंधन के तकाजे

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने अपने ताजा बयान से उपजे विवाद को शांत करने के लिए वही रास्ता अपनाया जो लापरवाही भरे बयान जारी करने वाले नेता अक्सर अपनाते हैं। उन्होंने पूरा दोष मीडिया के मत्थे मढ़ते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर दिखाया गया और दरअसल उनका इशारा प्रदेश सरकार नहीं बल्कि केंद्र सरकार की ओर था। बहरहाल, यह पहला मौका नहीं है जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बयान ने पार्टी और राज्य सरकार को असहज किया है। वे न केवल बार-बार कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर रहे हैं बल्कि सरकार पर परोक्ष रूप से घोटाले का भी आरोप लगा चुके हैं। चुनाव लड़ने की घोषणाओं का तो वे बचाव भी करते रहे हैं। यह सही है कि तीन विपरीत विचारधाराओं वाली पार्टियों का यह गठबंधन स्थायी नहीं है। लेकिन प्रदेश में कार्यकाल पूरा करने वाली एक स्थिर सरकार देना तो इस गठबंधन का घोषित मकसद रहा है। राज्य में अगला विधानसभा चुनाव 2024 में होना है। अभी मौजूदा सरकार ने आधा कार्यकाल भी पूरा नहीं किया है। फिर भी उसकी तैयारी करना, पार्टी संगठन को सचेत रखना किसी पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी का हिस्सा हो सकता है, लेकिन क्या इसकी बार-बार सार्वजनिक घोषणा करना भी उतना ही जरूरी है?
