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- कोयले का विकल्प
कोयला के उपयोग पर लगाम लगाने के लिए विश्वव्यापी प्रयास पर्यावरण की दृष्टि से भले ही स्वागतयोग्य हों, लेकिन विकासशील देशों की आर्थिक प्रगति को इससे एक झटका लग सकता है। इसमें शक नहीं कि रोम की बैठक या ग्लासगो में चल रहे जलवायु सम्मेलन में कोयले के खिलाफ माहौल है, लेकिन जमीनी हकीकत व व्यावहारिकता देखते हुए ही कोई फैसला करना चाहिए। भारत अगर कोयले का विकल्प नहीं खोज पा रहा है, यदि परमाणु, पनबिजली और अक्षय ऊर्जा में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पा रही है, तो वह कोयले का इस्तेमाल कम करने का वादा कैसे कर सकता है? ज्यादातर देश कोयले से तत्काल पीछा नहीं छुड़ा सकते। प्रदूषण रहित ऊर्जा की मंजिल अभी दूर है और इसके लिए विकसित देशों को विशेष रूप से प्रयास करने पड़ेंगे। सबसे अच्छी बात यह कि जो दुनिया जलवायु के मोर्चे पर राष्ट्रपति ट्रंप के समय ठहर गई थी, वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के समय आगे बढ़ी है।
हिन्दुस्तान