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- जलवायु के लिए
चूंकि सरकारें और कॉरपोरेट सेक्टर ने फिक्र नहीं की, इसलिए अब अदालतों और खुद कंपनियों के शेयर धारकों ने जलवायु परिवर्तन की फिक्र की है। इसे दुनिया में एक अहम बदलाव माना जा रह है। बल्कि तुलना तो इससे की गई है कि कुछ दशक पहले जैसा माहौल तंबाकू कंपनियों के खिलाफ बना था, अब कुछ-कुछ वैसा ही तेल और गैस उद्योग के साथ होता दिख रहा है। अब इस उद्योग को भी डर्टी यानी गंदा समझा जाने लगे, तो इसमें कोई हैरत नहीं होगी। इस बात के संकेत पिछले हफ्ते मिले। पहले नीदरलैंड्स में एक अदालत ने दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक- शेल को एक दशक अंदर अपने कार्बन उत्सर्जन में 45 फीसदी कटौती करने का आदेश दिया। उसी रोज एक और बड़ी तेल कंपनी एक्सॉनमोबिल के अमेरिकी शेयर होल्डर्स ने दो ऐसे लोगों को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल करने का फैसला किया, जिन्हें पर्यावरणवादी कार्यकर्ताओं ने मनोनीत किया था। ये फैसला मतदान के जरिए हुआ।