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वंदे भारत ट्रेनों की पिछले कुछ समय से खूब चर्चा हो रही है. अब वंदे भारत ट्रेन की 14 मिनट में चकाचक सफाई की खबर आयी है. रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को इस नयी व्यवस्था का शुभारंभ किया और कहा कि आगे चलकर अन्य क्षेत्रों में भी इसे लागू किया जाएगा. सफाई की यह पहल स्वागत योग्य है और इससे बड़ा बदलाव आ सकता है. भारत में ऐसे अनेक लोग हैं जो सफाई की समुचित व्यवस्था के अभाव के कारण रेल यात्रा से बचते हैं. यह एक कटु सत्य है कि राजधानी दिल्ली के स्टेशनों से लेकर देश के अमूमन हर बड़े स्टेशन की तस्वीर एक जैसी ही लगती है. स्टेशन पर पैर रखने से लेकर पुल, वेटिंग रूम, प्लेटफॉर्म और ट्रेनों के भीतर की सफाई की व्यवस्था संतोषप्रद नहीं कही जा सकती. ट्रेनों में अक्सर चीथड़ों में लिपटे गरीब बच्चे झाड़ू से कचरा उठाते और नजर चुराते यात्रियों से पैसे मांगते दिख जाते हैं.
शौचालयों की स्थिति तो ऐसी होती है कि बहुतेरे यात्री इस रणनीति के साथ यात्राएं करते हैं कि शौचालयों में पैर रखने की नौबत ही ना आये. वर्ष 2018 में आइआरसीटीसी की ओर से 209 अहम ट्रेनों के बारे में एक सर्वेक्षण करवाया गया था. अपनी तरह के इस पहले सर्वे के तहत 16 रेलवे जोनों में चलनेवाली इन ट्रेनों में राजधानी, दुरंतो, तेजस शताब्दी, जन शताब्दी, संपर्क क्रांति जैसी कई ट्रेनों के यात्रियों से राय मांगी गयी. इसमें लगभग सभी ट्रेनों में यात्रियों ने सफाई को लेकर असंतोष जताया था. आइआरसीटीसी ने खुद माना था कि खासतौर पर प्रीमियम ट्रेनों के यात्री और अधिक सफाई की अपेक्षा करते हैं. इस रिपोर्ट के पांच साल बाद परिवर्तन के संकेत तो मिलते हैं, लेकिन अक्सर ऐसा लगता है जैसे ये प्रयास अधूरे रह जाते हैं.
इसी वर्ष जनवरी में सिकंदराबाद-विशाखापत्तनम वंदे भारत ट्रेन की तस्वीरें चर्चा में आयी थीं, जिसमें यात्रा पूरी होने के बाद पूरे कोच में इस्तेमाल किये गये कप, प्लेट और कचरा बिखरे हुए थे. तब रेल मंत्री वैष्णव ने संबंधित अधिकारियों को कदम उठाने के निर्देश दिये, और फिर वंदे भारत में विमानों की ही भांति सीटों से कचरा जमा करने की व्यवस्था की गयी. दरअसल, वंदे भारत समेत तमाम ट्रेनों और स्टेशनों की सफाई एक बड़ी चुनौती है. इसके हल के लिए सोच-समझकर निश्चित व्यवस्था बनायी जानी चाहिए. इससे ना केवल यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि रेलवे की भी छवि निखरेगी, और लोग ट्रेनों से मजबूरी में नहीं मन से यात्रा करेंगे.
सोर्स: प्रभातखबर
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