सम्पादकीय

उद्देश्य पर स्पष्टता जरूरी

Gulabi
7 March 2022 6:20 AM GMT
उद्देश्य पर स्पष्टता जरूरी
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क्वैड देशों के साझा बयान में ताइवान का जिक्र नहीं किया गया
By NI Editorial
क्वैड देशों के साझा बयान में ताइवान का जिक्र नहीं किया गया। बल्कि कहा गया कि नेताओं ने यूक्रेन विवाद और मानवीय संकट पर बात की। तो कहा जा सकता है कि क्वैड ने एक बार फिर संकेतों की भाषा में बोलने का रुख अपनाया। जब तक ये हिचक है, उसके मकसद को लेकर भ्रम बना रहेगा।
रूस-यूक्रेन विवाद के बीच भारत ने जो रुख लिया, उससे पश्चिमी देशों में भ्रम पैदा हुआ। खासकर अमेरिका में भारत के रुख को लेकर जैसी नाराजगी और बेचैनी देखी गई, उसे समझा जा सकता है। आखिर चीन के खिलाफ अपनी रणनीति में अमेरिका ने भारत पर बड़ा दांव लगा रखा है। लेकिन यूक्रेन जैसे बड़े विवाद पर तमाम मान-मनौव्वल और दबाव के बावजूद भारत अपने रुख पर अडिग रहा। जाहिर है, इससे क्वाड्रैंगुलर सिक्युरिटी डायलॉग (क्वैड) को लेकर भी भ्रम पैदा हुआ। अगर यूक्रेन जैसे सुरक्षा संबंधी विवाद पर इस गुट में शामिल देशों का रुख एक दूसरे के काटता हुआ हो, तो जाहिर है, इसके मकसद को लेकर भ्रम बनेगा। तो इसी पृष्ठभूमि में पिछले हफ्ते भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के राष्ट्राध्यक्षों ने एक औचक मुलाकात की। इसमें यूक्रेन के साथ ताइवान पर भी बातचीत हुई। क्वॉड देशों के नेताओं ने कहा कि यूक्रेन जैसी घटना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नहीं होनी चाहिए। उनका इशारा चीन के ताइवान पर हमले की संभावना की ओर था। ताइवान खुद को एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश मानता है, जबकि चीन उसे अपना हिस्सा बताता है।
बैठक के बाद जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा- हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि यूक्रेन के युद्ध यह अहम हो गया है कि एक आजाद और खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र कितना जरूरी है। नेताओं ने बैठक के दौरान इसी तरह की टिप्पणियां कीं, जिनका इशारा चीन की ओर था। इसके पहले बीते महीने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में क्वॉड देशों के विदेश मंत्रियों की सालाना बैठक हुई थी। आने वाले महीनों में इन राष्ट्राध्यक्षों का जापान में मिलने का कार्यक्रम है, लेकिन पिछले हफ्ते बैठक का एकाएक एलान हुआ। बैठक के बाद जारी एक साझा बयान में क्वॉड नेताओं ने दोहराया कि क्षेत्र में सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए। इसे यूक्रेन का समर्थन समझा जा सकता है। लेकिन यह बात भारत पहले भी कहता रहा है। अंतर यह है कि उसने हमले के लिए रूस की निंदा नहीं की है। बहरहाल, क्वैड देशों के साझा बयान में ताइवान का जिक्र नहीं किया गया। बल्कि कहा गया कि नेताओं ने यूक्रेन विवाद और मानवीय संकट पर बात की। तो कहा जा सकता है कि क्वैड ने एक बार फिर संकेतों की भाषा में बोलने का रुख अपनाया। जब तक ये हिचक है, उसके मकसद को लेकर भ्रम बना रहेगा।
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