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नई दिल्ली : यह देखा जाता है कि जिन देशों में जमीनी स्तर पर विकास की गतिविधियां वास्तविक रूप से बढ़ती हैं, तो उन देशों में लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी होने लगती है और रोजगार में बढ़ोतरी होती है, गरीबी और भुखमरी खात्मे की ओर अग्रसर होती हैं, खुशहाली का मंजर देखने को मिलता है। लेकिन इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि कुछ देशों में विकास की गतिविधियों के बावजूद न तो बेरोजगारी की स्थिति सुधरने लगती है और न ही गरीबी व भुखमरी में कमी आने लगती है। अपने भारत देश में भी कुछ ऐसा ही देखा जा सकता है, जहां हम विकास होने की चर्चा तो करते रहते हैं, पर लगता नहीं है कि देश में बेरोजगारी में कमी आई हो, और न ही गरीबों की संख्या में कमी आई है। भारत में विकास के दावे सच्चाई से कोसों दूर हैं।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
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