सम्पादकीय

नागरिक सेवाएं और नजरिया

Subhi
16 July 2022 3:43 AM GMT
नागरिक सेवाएं और नजरिया
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पिछले साल (वर्ष 2021) अड़तीस अरब डालर की पूंजी के साथ चौवालीस भारतीय यूनिकार्न सामने आए थे। इस मामले में भारत सिर्फ अमेरिका और चीन से ही पीछे रहा था

तल्लीन कुमार: पिछले साल (वर्ष 2021) अड़तीस अरब डालर की पूंजी के साथ चौवालीस भारतीय यूनिकार्न सामने आए थे। इस मामले में भारत सिर्फ अमेरिका और चीन से ही पीछे रहा था। इन यूनिकार्न उद्यमों ने हर तरह के उपयोक्ता के लिए कई तरह के उत्पाद तैयार करने और उन्हें लोगों तक पहुंचाने की क्षमता हासिल कर ली है, जिसमें ढेरों खूबियां और तकनीक तो हैं ही, साथ ही लोगों को बार-बार खुशी का अहसास करवाने की क्षमता भी इसमें साफ देखी जा सकती है।

यहां 'बार-बार' शब्द महत्त्वपूर्ण है। सर्वोत्तम उत्पाद उपयोक्ता की उम्मीदों को बनाते हैं और अपनी कामयाबी से उनके मन में जगह बना लेते हैं और यह तभी संभव हो पाता है जब किसी साफ्टवेयर या उपकरण का डिजाइन और उसकी तकनीकी खूबियां एक प्रमुख उत्पाद को सामने लाती हैं। उदाहरण के लिए, आज जब कोई किसी बिल के भुगतान के लिए यूपीआइ ऐप का उपयोग करता है, तो इसका अनुभव किसी भी मानवीय दखल पर बहुत ही कम निर्भर करता है, लेकिन बैंकों के साथ जुड़ाव और इसके इंटरफेस की त्वरित कार्रवाई जो काफी अनुभव से तैयार हुई है, वह इसके उपयोग में अनुभव की जा सकती है।

कई तरह की नागरिक सेवाएं प्रदान करने के पारंपरिक तरीकों, जिनमें आज भी नागरिक सेवाओं के लिए एक सरकारी अधिकारी के विशेषाधिकार की जरूरत बनी हुई है, से यह ठीक उलट है। प्रधानमंत्री ने 2015 में जो डिजिटल इंडिया योजना शुरू की थी, उससे डिजिटलीकरण और नागरिक सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की महत्ता सामने आ गई है। सभी सफल डिजिटल उत्पादों और प्लेटफार्मों जैसे आधार, यूपीआइ, गर्वमेंट इमार्केटप्लेस, आयुष्मान भारत, कोविन, पासपोर्ट सेवा और इसी तरह की अन्य सेवाओं में एक बात समान यह है कि विवेक और इनकी ओर झुकाव ने हर व्यक्ति को ऐसी नागरिक सेवाएं उपलब्ध करवाने के मामले में पारदर्शिता और दक्षता को संभव बनाया है। इसी से आज हर नागरिक तक उसके अनुरूप सेवाएं पहुंचाना संभव हुआ है।

इसलिए नागरिक सेवाओं के लिए सरकार में डिजिटल उत्पाद बनाने के लिए क्या किया जा सकता है?उत्पादों के डिजाइन और विकास में नवाचारी उद्यमों (स्टार्टअप) से सरकार क्या सीख ले सकती है? ज्यादा से ज्यादा ऐसे कामयाब डिजिटल उत्पाद कैसे तैयार किए जाएं जो भारत की अर्थव्यवस्था को सन 2025 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डालर तक पहुंचा सकें? इन सवालों का जवाब हम निन्मलिखित नौ बिंदुओं पर काम करके दे सकते हैं।

पहला, नागरिक सेवाएं प्रदान करने के मामले में सरकार और नागरिकों के बीच संवाद और रिश्तों में एक किस्म का बदलाव आया है। लोगों के बजाय बेहतर तरीके से डिजाइन किए गए साफ्टवेयर उत्पादों और अनुप्रयोगों से यह संवाद धीरे-धीरे बढ़ेगा और मध्यस्थ का काम करेगा। इसे समझने की जरूरत है।

दूसरा, सरकार खुद उत्पाद बनाने के बजाय ऐसे मंच और सुविधाएं उपलब्ध करवाए जो बेहतर उत्पाद बनाने में सक्षम हो सकें। तीसरा, सरकार को उत्पाद संबंधी नजरिया अपनाना चाहिए और इसका उद्देश्य दोहराने योग्य प्रक्रियाओं का निर्माण होना चाहिए। चौथा, अक्सर देखा गया है कि उत्पाद विकास का काम प्रस्तावों के लिए अनुरोध के जरिए बाहर से करवाया जाता है और जब एक बार अनुबंध हो जाता है तो फिर दायरे, संरचना, पसंद की तकनीक, डिजाइन, समयावधि और ग्राहकों की जरूरत के अनुरूप किसी बड़े बदलाव की गुंजाईश बहुत ही कम रह जाती है। कोई भी अनुबंध करने वाला मौजूदा आपरेटर से काम लेने के लिए एक साल का संक्रमण काल शामिल करेगा और फिर नया साफ्टवेयर विकसित करने के लिए अतिरिक्त एक साल लेगा।

अगर कोई अनुबंध प्रक्रिया को पूरा करने के लिए छह से नौ महीने का अतिरिक्त समय और जोड़ता है तो हम अनिवार्य रूप से कह रहे होते हैं कि उत्पाद जिस पर काम शुरू हुआ था, वह अठारह से चौबीस महीने पहले आ जाता। इसलिए शीर्ष स्तर पर बैठे उत्पाद बनाने वाले माहिर को संगठन में यह जानने की जरूरत है कि कौन यह सुनिश्चित कर सकता है कि उत्पाद विकास पर लगाया गया कीमती वक्त और संसाधन उपयोगी रहा, जिसमें सभी भागीदारों की जरूरतों और प्राथमिकताओं को शामिल किया गया था।

पांचवा, उत्पाद विकास को लेकर सरकार के नजरिए में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत है। इसका नजरिया विभागीय केंद्रित होने की बजाय नागरिक केंद्रित होना चाहिए। इसमें पूरी तरह स्पष्टता और सभी भागीदारों की जरूरतों और उनकी प्राथमिकताओं का ध्यान केंद्रित होना चाहिए।

छठा, अच्छा माहौल पैदा करने की जरूरत है जहां निजी क्षेत्र के प्रतिभावान उत्पाद प्रबंधक, इंजीनियर और डिजाइनर सरकार में काम सकें। यहां मामला सिर्फ इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी नजरिए वाले प्रतिभावान लोगों को पैसे पर रखने भर का नहीं है, बल्कि इनमें ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है जो कल्पनाशीलता, सृजनशीलता और सामाजिक प्रभाव के लिए मानव केंद्रित काम का नजरिया भी रखते हों।

सातवां, उत्पाद की कल्पना, विकास, परीक्षण, परिचालन और उसके रखरखाव को निरंतर मस्तिष्क में रखना होता है। इसके लिए एक समर्पित टीम की जरूरत होती है जो तेजी से उत्पादों के प्रायोगिक रूप तैयार कर उनका परीक्षण करती रहे और उपयोगकर्ताओं से प्रतिक्रिया मिलने पर जरूरत के अनुरूप उनमें बदलाव होते रहें। इस प्रक्रिया को दोहराते हुए ही किसी उत्पाद को सर्वश्रेष्ठ बनाने की दिशा में अग्रसर हुआ जा सकता है।

आठवां, बाजार और प्रबंधन जैसी सेवाओं के लिए कृत्रिम मेधा (एआइ), मशीन लर्निंग (एमएल) और एनालिटिक्स जैसी तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए। नौवां, सभी स्तरों पर सूचना सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की बेहद जरूरत है। देखने में आया है कि गोपनीयता और आंकड़ों की सुरक्षा के रखरखवा में अच्छे-अच्छे साफ्टवेयर भी नाकाम रहे हैं। साथ ही उपयोगकर्ता की उचित पहचान में भी यह होता रहा है।

देश में अब डिजिटल सेवाओं की नींव पड़ चुकी है। डिजिटल ढांचे और डिजिटल पंजीकरण के साथ स्वास्थ्य सेवाओं के प्लेटफार्म और स्वास्थ्य पहचान संख्या जैसे और अनुप्रयोगों के साथ सरकार लोगों तक पहुंच रही है और इसमें प्रौद्योगिकी की ही बड़ी भूमिका रही है। डिजिटल और प्रौद्योगिकी इन दो शब्दों के साथ भारत ने आज डिजिटल ढांचे की और महत्त्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं। वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में इस पर जोर भी दिया गया है कि ज्यादा से ज्यादा से कामयाब उत्पाद बनाने में उत्पाद केंद्रित नजरिया महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


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