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- सिनेमा का औजार
Written by जनसत्ता: संचार के सभी माध्यमों में से सिनेमा समाज को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। यानी सिनेमा आज इस परिवेश में परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है। इसी विचारधारा के साथ हरियाणा के कुरुक्षेत्र में इन दिनों पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न हस्तियां शिरकत कर रही हैं।
दरअसल, 18 से 22 मई तक चलने वाला यह महोत्सव सिनेमा और उसके महत्त्व पर आधारित है, जहां फिल्म प्रस्तुतियों के जरिए लोगों को सिनेमा के प्रति जागरूक किया जा रहा है, वहीं उन्हें उनके दायित्वों का भी एहसास कराया जा रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित एचआइएफएफ में कुल 75 छोटी तथा बड़ी फिल्मों को दिखाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 28 देशों से आर्इं 24 अलग अलग भाषाओं में बनी फिल्में भी शामिल हैं।
इस आयोजन का मकसद देखें तो यह आयोजन मूल रूप से लोगों को सिनेमा की दुनिया से जोड़ने की एक अनूठी पहल है। सूचना, शिक्षा और मनोरंजन को आधार मानते हुए यह महोत्सव वास्तव में समाज को वास्तविक सिनेमा से जोड़ रहा है। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि सिनेमा को महज मनोरंजन का माध्यम माना है, मगर यह इससे ज्यादा कुछ है। आज यह राजनीतिक विचारधारा, अपने पक्ष के प्रसार और किसी मुद्दे पर धारणाओं के निर्माण का एक बड़ा माध्यम बन चुका है।
'खतरे में जैव विविधता' (23 मई) पढ़ा। जैव विविधता की समृद्धि ही धरती को रहने तथा जीवनयापन के योग्य बनाती है। हमें अपने जंगलों को बचाना होगा, प्रदूषण कम करना होगा, वन्य प्राणियों के रहवासी क्षेत्रों में घुसपैठ कम करनी होगी। विकास के नाम पर हरे-भरे पेड़ काटे जा रहे हैं। ऐसे में मानव सहित समस्त प्राणी जगत का जीवन कैसे सुरक्षित रहेगा? सरकार द्वारा संरक्षण के प्रयास के साथ हमारी सामूहिक जिम्मेदारी भी है। स्थिति और खराब हो, उससे पहले हमें संभलना होगा!