सम्पादकीय

चुनाव ही अकेला रास्ता

Gulabi Jagat
19 Oct 2022 6:40 AM GMT
चुनाव ही अकेला रास्ता
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By NI Editorial

यह सच हो या नहीं, लेकिन पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लोग इमरान खान की ये बात मानते हैं कि उनकी सरकार को अमेरिका के इशारे पर गिराया गया था। इससे देश में विश्वास का संकट लगातार बना हुआ है।
आर्थिक संकट से लगातार घिरते जा रहे पाकिस्तान में अब बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना बनती जा रही है। पहले ही लगातार राजनीतिक चुनौतियां पेश करते आ रहे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तुरंत नए चुनाव की मांग पर जोर डालने के लिए इस्लामाबाद तक कूच आयोजित करने का इरादा जता दिया है। उनका मनोबल रविवार को हुए उप चुनावों में भारी कामयाबी से बढ़ा है। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) आठ में छह संसदीय सीटों पर जीती। सभी विजयी सीटों पर इमरान खान ही उम्मीदवार थे। संसदीय सीटों के अलावा पीटीआई ने पंजाब में प्रांत में दो सीटों के उपचुनाव में भी कामयाबी हासिल की। इन नतीजों से देश में इमरान खान की ऊंची लोकप्रियता की फिर पुष्टि हुई है। चुनाव नतीजों का एलान होते ही इमरान खान ने घोषणा कर दी कि वे नेशनल असेंबली की सदस्यता की शपथ नहीं लेंगे। संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर पीटीआई की सरकार पिछले अप्रैल में गिर गई थी।
तब से पीटीआई नए आम चुनाव की मांग कर रही है। लेकिन सत्ताधारी पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने फिर नए चुनाव की मांग को ठुकरा दिया है। इस गठबंधन ने कहा है कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली उसकी सरकार अपने पूरे कार्यकाल तक बनी रहेगी। ये कार्यकाल एक साल बाकी है। लेकिन इस बात की लगातार पुष्टि होती गई है कि इस गठबंधन के साथ जनादेश नहीं है। जुलाई में पंजाब प्रांत की असेंबली की 20 सीटों के लिए हुए उप चुनाव में 15 सीटें जीत कर इमरान खान ने अपनी बढ़ती लोकप्रियता का साबित कर दिया था। अब संसदीय उप चुनावों में भी यही बात जाहिर हुई है। यह सच हो या नहीं, लेकिन पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लोग इमरान खान के इस आरोप में यकीन करते हैं कि उनकी सरकार को अमेरिका के इशारे पर देश में रची गई साजिश के तहत गिराया गया था। इससे देश में विश्वास का संकट लगातार बना हुआ है। ऐसे में सही रास्ता तुरंत आम चुनाव कराना ही है, वरना देश के घोर अस्थिरता का शिकार हो जाने का अंदेशा है।
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