सम्पादकीय

COVID-19 का चीनी संस्करण

Gulabi
17 Jan 2021 2:05 AM GMT
COVID-19 का चीनी संस्करण
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कोरोना का चीनी संस्करण: चीनी माल ज्यादा नहीं टिकता, वैक्सीन आ गई

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना के चीनी संस्करण के बाद उसके ब्रिटिश और अमेरिकी संस्करणों के आने की भी खबरें मिली हैं। चूंकि कोरोना के कई प्रतिरूप सामने आ गए हैं तो मामला बहुत ही कनफ्यूजनात्मक हो चला है। ऐसे में कई मसलों को सुलझाने के लिए वे एक शिखर सम्मेलन के लिए जुटे और हमें उसकी भनक लग गई। हम भी पहुंच गए। उनकी बातचीत सुनी। अब यहां आपके साथ उसके कुछ अंश साझा कर रहे हैं।


कोरोना का चीनी संस्करण: चीनी माल ज्यादा नहीं टिकता, वैक्सीन आ गई

शिखर सम्मेलन की शुरुआत चीनी कोरोना यानी चीको के संबोधन से हुई। उसने बाकियों को कुछ हीन भावना से देखते हुए बोलना शुरू किया कि देखो ओरिजनल तो मैं ही हूं, तुम सब मेरे बाद आए हो। मेरा ही नाम इतिहास में जाएगा। इस पर तिलमिलाया अमेरिकी कोरोना उर्फ अको बोला दुनिया जानती है कि चीनी माल ज्यादा नहीं टिकता, देख साल भर से कम में भी तेरी वैक्सीन आ गई है। ध्यान से सुन मैं अमेरिकन वायरस हूं। यहां काम से ज्यादा हल्ला होता है और देखना मेरी लोकप्रियता नए राष्ट्रपति से भी ज्यादा होगी। चीको ने चुटकी ली कि अरे ओ छोटे, बड़ी-बड़ी बातें न कर, फोन तक बनवाने तो हमारे यहां आते हो।
कोरोना पर चीन का हक था, हक है और हक रहेगा


मैन्यूफैक्चरिंग में सब हमारा लोहा मानते हैं और ज्यादा न इतरा मेरा 'प्रो' वर्जन पाइपलाइन में है। वहीं अतीत की यादों में खोए ब्रिटिश कोरोना यानी ब्रिको की तंद्रा अचानक टूटी। ब्रिको बोला, अबे तुम सब हमारे गुलाम रहे हो। दुनिया का ओरिजनल वायरस तो मेरा मुल्क ही रहा है, जिसने तमाम देशों का खून पीकर अपनी तिजोरियां भरी हैं। चीको से रहा नहीं गया और तुरंत बोला कि ये सब पुरानी बातें हैं। अभी वायरसगीरी में हमारी दादागीरी है। देखो हमें अब तय कर देना चाहिए कि वायरस सुपर पावर के नाम पर ही हो सकते हैं। भारत जैसे देशों के कोरोना वायरस को हम भारतीय नहीं मानेंगे। कोरोना पर चीन का हक था, हक है और हक रहेगा।
अगर कोरोना का ओरिजनल वायरस खत्म हुआ तो नकली कोरोना बनाकर धंधा चमकाएंगे

भारतीयों की पैरवी में अको बोल पड़ा कि भारतीयों को कोई फर्क ना पड़ता। वे चीनी झालर से लेकर चीनी मोबाइल तक खरीदते हैं। चीनी वायरस से उन्हें कोई दिक्कत नहीं। भारतीय भौत स्मार्ट लोग हैं। कुछ तो ऐसे धंधेबाज हैं कि अगर कोरोना का ओरिजनल वायरस खत्म हुआ तो वे नकली कोरोना बनाकर धंधा चमकाएंगे। वे चीनी मंचूरियन और मोमोज की भी ऐसी की तैसी कर चुके हैं। वे इतने स्मार्ट हैं, मेरे देश की धरती सोना उगले, यह गीत इंडियन लोग चाईनीज मोबाइल से अमेरिकन यूट्यूब पर सुनकर फोकटी में इमोशनल होकर परम देशभक्ति फील कर सकते हैं।

चीनी वायरस ही ग्लोबल है जो बीजिंग से बड़ौदा तक धमाल मचा रहा

बहस बढ़ती देखकर ब्रिको ने हस्तक्षेप किया कि देखो कोरोना वायरस संपन्न राष्ट्रों की बैठक बुलाकर अमेरिका, ब्रिटेन और चीन खुद को कोरोना वायरस संपन्न राष्ट्र घोषित कर दें तो बेहतर। बाद में कोई देश खुद को कोरोना पावर ना कह पाएगा। सहमति जताते हुए चीको ने कहा कि बिल्कुल हम तो चाहते हैं कि मूल वायरस देश चीन घोषित किया जाए। इस दौर में सिर्फ वायरस ही ग्लोबल है, बाकी नेता वगैरह तो सब लोकल टाइप हैं। सिर्फ चीनी वायरस ही ग्लोबल है जो बीजिंग से बड़ौदा तक धमाल मचा रहा है।
डर खत्म तो कोरोना खत्म

ब्रिको ने कहा जो भी करो, जल्दो करो कहीं अपनी वैल्यू ही न खत्म हो जाए। हैरानी जताते हुए चीको ने कहा कि भला हमारी वैल्यू कैसे खत्म हो जाएगी? अको ने समझाना शुरू किया कि देखो भाई लोगों ने डरना छोड़ दिया तो वैल्यू खत्म। अब लोग डरना बंद कर रहे हैं कोरोना से। डर खत्म तो हम खत्म। डर तभी कायम रहेगा जब हर देश से वायरस आए, अलग-अलग राष्ट्रीयताओं वाले वायरस। असहमति व्यक्त करते हुए ब्रिको ने कहा कि सभी देशों के वायरस आ गए तो पुराने वायरसी देशों को फिर कौन पूछेगा। इस पर अको ने विशुद्ध अमेरिकी लहजे में समझाना शुरू किया कि देखो अगर पाकिस्तान जैसे टुच्चे देशों के कोरोना वायरस मार्केट में आ गए तो वायरसों का नाम बहुत खराब हो जाएगा। जैसे पाकिस्तानी नेता इन दिनों पैसों के लिए तमाम देशों के दरवाजे खटखटा रहे हैं वैसे ही पाकिस्तानी वायरस भी कुछ ऐसी हरकत करने लगा तो वायरस वायरस ना रहेगा भिखारी टाइप मान लिया जाएगा। आओ चिंतन करें कि हर देश का वायरस और खासकर पाकिस्तान का वायरस मार्केट में ना आने पाए।


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