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- चीन का रुख
भारत और चीन के बीच सैन्य कमांडर स्तर की तेरहवें दौर की वार्ता बिना किसी नतीजे के खत्म हो जाना किसी भी रूप में अच्छा नहीं कहा जा सकता। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इस बार वार्ता के दौरान चीन ने जैसा रुख दिखाया, उससे शांति के प्रयासों को धक्का लगा है। अब तक माना जा रहा था कि वार्ता यह दौर तनाव कम करने और लंबित मुद्दे सुलझाने के लिए सकारात्मक माहौल बनाने में सहायक साबित होगा। पर वार्ता के बाद दोनों देशों की ओर से जो बयान आए, उनसे तो लग रहा है कि तनाव और बढ़ेगा। बैठक में चीन के आक्रामक रवैए से साफ हो गया कि उसकी मंशा माहौल को अच्छा बनाने के बजाय तनाव बढ़ाने की है। हालांकि उसके इस रुख के संकेत पहले ही मिलने लगे थे और लग रहा था कि वार्ता शुरू होने के पहले वह ऐसा कुछ करेगा जिससे नए विवाद खड़े हो जाएं। हाल में उत्तराखंड के बारागोती और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सैक्टर में चीनी सैनिकों की घुसपैठ से यह आशंका पैदा हो गई थी कि कहीं तेरहवें दौर की वार्ता पर इसका कोई असर न दिखे। और यह आशंका अब सच साबित हुई।